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रोमांचक विज्ञान कथाएँ

जयंत विष्णु नारलीकर

प्रकाशक : विद्या विहार प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :166
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 3321
आईएसबीएन :81-88140-65-1

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सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं विज्ञान लेखक श्री जयंत विष्णु नारलीकर द्वारा लिखित ये विज्ञान कथाएँ रहस्य, रोमांच एवं अदभुत कल्पनाशीलता से भरी हुई है...


"आप कहते हैं कि हमारी सेनाएँ अच्छी तरह हथियारों से लैस हैं। उनके पास कौन-कौन से हथियार हैं?" जर्मनी के बैटन फ्रिट्जहॉफ ने सवाल उठाया। बेशक उनका मतलब था कि फौजें किस हद तक हथियारों से लैस हैं।

चेयरमैन ने अपने नोट्स को देखा और जवाब दिया, "हमारी फौज के पास नाभिकीय हथियार हैं;प्रत्येक एक-एक मेगा टन शक्ति का और 10,000 किलोमीटर तक मार कर सकनेवाला। मेरा मानना है कि बाहरी घुसपैठियों के एक-एक जहाज से निपटने के लिए तीन-तीन हथियार हैं। लेकिन याद रखिए कि यह पहला मौका है जब शायद इनके इस्तेमाल की जरूरत.पड़े।"

"उम्मीद करनी चाहिए कि इन हथियारों पर जंग नहीं लगी होगी।" यह टिप्पणी थी अमरीका के एल्सवर्थ जॉन की। यह इस बात की ओर इशारा था कि धरती पर पिछले पच्चीस वर्षों से कोई जंग नहीं लड़ी गई थी। और धरती पर रह रही नई पीढ़ी के लिए जंग एवं झड़प इतिहास की बातें थीं।

यह बैठक करीब एक घंटे तक चली। उसके बाद बैठक स्थगित कर दी गई, इस सूचना के साथ कि आपात स्थिति की गंभीरता के मद्देनजर बैठक किसी भी समय दोबारा बुलाई जाएगी।

लेकिन दोबारा बैठक बुलाने की नौबत नहीं आई, क्योंकि चौबीस घंटों के भीतर ही अंतरिक्ष यानों का बेड़ा धरती से केवल 20, 000 किलोमीटर के दायरे में आ गया। अब भी वह आसमान में तैनात धरती की सेनाओं के घातक हथियारों की मार से बाहर सुरक्षित था। अंतरिक्ष यानों ने खुद को एक विशालकाय त्रिकोण में तैनात कर लिया। इस त्रिकोण की नोक पर उनमें से सबसे प्रभावशाली यान था। धरती के यानों में टेलीविजन के परदों पर यह तसवीर साफ दिखाई दे रही थी। एलन ब्रॉडबेंट, जिन्हें सभी ए.बी. कहते थे, धरती के तमाम अंतरिक्ष यानों के कमानदार थे। वे चुपचाप त्रिकोण को बनते देख रहे थे। अब क्या होगा? कि तभी इंटरकॉम बज उठा। उन्होंने बटन दबाया।

"ए बी, मैं वायरलेस रूम से जॉनी बोल रहा हूँ, ओवर!"
उस तनावपूर्ण माहौल में भी ए बी को मजाक सूझा यह शब्द 'ओवर', जो बाबा आदम के जमाने से वायरलेस संवाद की प्रगति से चिपका हुआ है।

"बोलते जाओ, मैं सुन रहा हूँ, ओवर!"

"वे 21 सें.मी. वेवबैंड पर कुछ संदेश भेज रहे हैं। कोई कोलाहल नहीं, बिलकुल साफ; लेकिन वे क्या कह रहे हैं, मुझे एक भी शब्द समझ में नहीं आ रहा है, ओवर!"

"तुम्हें क्यों कर समझ आने लगा? तुम क्या सोचते हो कि वे तुम्हारी ऑक्सफोर्ड अंग्रेजी बोलेंगे!" एलन जॉनी की ऑक्सफोर्ड डिग्री को लेकर उसकी टाँग खींचने का कोई भी मौका ए बी हाथ से जाने नहीं देते थे। उन्होंने आगे कहना जारी रखा, अलबत्ता तुम उनके संदेशों को रिकॉर्ड करते रहो। मेरा सुझाव है कि लिटिल मास्टर को बुला लो और उसे संदेश सुनाओ।"

लिटिल मास्टर शिवरामकृष्णन का कद मुश्किल से पाँच फीट होगा। गूढ- से-गूढ़ सूचनाओं को समझने में वह माहिर था। कुछ लोगों का कहना है कि उसके कंधों पर सिर नहीं बल्कि सुपर कंप्यूटर रखा है। अंतर केवल इतना है कि यह सोच सकता है।

जॉनी ने लिटिल मास्टर को तलब किया। छह फुटा जॉनी लिटिल मास्टर से झुककर बात करता था। अपने साथियों की तरह ही वह भी लिटिल मास्टर की लाजवाब बौद्धिक क्षमता का कायल था।

"शिवा, तुम्हारे दिमाग के लिए अच्छी-खासी खुराक है।" संदेशों को रिकॉर्ड कर रहे उपकरण की ओर इशारा करते हुए जॉनी ने कहा।

"मैं तो समझा था कि आपने मुझे अपने खिलौनों की साफ-सफाई करने के लिए बुलाया है।" शिवा ने कंप्यूटर का मजाक उड़ाते हुए कहा।

"यह कोई मामूली मसला नहीं है। ये संदेश एलियन लोगों से मिल रहे हैं। तुम हमें बताओगे कि वे क्या कह रहे हैं।"

"वाह ! यह है न काम की बात। चलो, दिखाओ मुझे।" शिवा की-बोर्ड के सामने जमकर बैठ गया।

अगले एक घंटे तक लिटिल मास्टर चुपचाप अपने काम में डूबा रहा। एक बार उसने जॉनी से ट्रांसमीटर चालू कर अंतरिक्ष में इंतजार कर रहे एलियन लोगों तक एक संदेश भेजने को कहा। उसके बाद वह कंप्यूटर के परदे पर गोले जैसे बनाने लगा।

'क्या? तुम्हारा दिमाग फिर गया?" जॉनी ने पूछा।
"जरा रुको और देखो तो सही।" शिवा ने जवाब दिया।

थोड़ी देर इंतजार करने के बाद जॉनी अपने नियमित कामकाज में जुट गया। बीच-बीच में वह शिवा पर उड़ती नजर डाल लेता। लगता था जैसे शिवा गहरी नींद में डूबा हो। क्या वह ध्यानमग्न था?

अचानक ही करीब आधे घंटे बाद कंप्यूटर के परदे पर जैसे जान आ गई हो। इस बार जो संदेश था, जॉनी उसे समझ सकता था, क्योंकि यह अंग्रेजी में था-'अभिवादन धरतीवासियो, हमारे पास तुम्हारे लिए संदेश है।'

अब सुरक्षा परिषद् की दूसरी बैठक बुलाई गई। सभी के मन में एक अजीब किस्म का डर समाया हुआ था। बैठक बुलाते वक्त चेयरमैन ने सबको चेता दिया कि हालात अच्छे नहीं हैं। दरअसल, हालात विनाश के कगार पर पहुँच चुके थे सभी राष्ट्र प्रमुखों के अपने-अपने आसन पर बैठ जाने के पश्चात् चेयरमैन ने बोलना शुरू किया-"दोस्तो, हमारे सामने अजीबो-गरीब हालात बन गए हैं। अपने पूरे अस्तित्व के दौरान धरती पर मनुष्य ने ऐसे हालात नहीं देखे थे। आप सभी जानते हैं कि एलियन अंतरिक्ष यानों का पूरा बेड़ा हमारे सामने खड़ा है। वे हमसे क्या चाहते हैं ? पिछले तीन घंटों से वे 21 सें.मी. वेवबैंड पर संदेश भेज रहे हैं। हालाँकि उनके संदेश साफ-साफ सुनाई दे रहे हैं; पर हमारा स्टाफ उनकी भाषा नहीं समझ पा रहा था, इसलिए उन्होंने हमारे बेहतरीन विशेषज्ञ डॉ. शिवरामकृष्णन को बुलाया। गूढ़ संदेशों को समझने में उनका कोई जवाब नहीं है। उनके साथी उन्हें 'लिटिल मास्टर' के नाम से पुकारते हैं।

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