लोगों की राय

कहानी संग्रह >> रोमांचक विज्ञान कथाएँ

रोमांचक विज्ञान कथाएँ

जयंत विष्णु नारलीकर

प्रकाशक : विद्या विहार प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :166
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 3321
आईएसबीएन :81-88140-65-1

Like this Hindi book 14 पाठकों को प्रिय

48 पाठक हैं

सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं विज्ञान लेखक श्री जयंत विष्णु नारलीकर द्वारा लिखित ये विज्ञान कथाएँ रहस्य, रोमांच एवं अदभुत कल्पनाशीलता से भरी हुई है...


मामा मिया!" 24 घंटे बाद जूलियो रँजा ने अपने कंप्यूटर पर नतीजों को पढ़ा तो उसका मुँह हैरानी से खुला रह गया।

"निगरानी की जा रही वस्तु बृहस्पति के पास से आगे निकल गई है। इसके मार्ग पर पक्की तौर पर बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण बल का कोई असर नहीं पड़ रहा है, इसलिए अगले चौबीस घंटों तक या तब तक जबकि इस वस्तु की गति का नियंत्रण करनेवाले बल का पता नहीं चल जाता, उसकी निगरानी की जाएगी।" जूलियो रैंजा की समझ से बाहर था कि कोई चीज बृहस्पति के इतना करीब होने के बावजूद उसके गुरुत्वाकर्षण बल से बेअसर कैसे रह सकती है! उसकी सोची हुई तीनों संभावनाएँ यहाँ गलत सिद्ध हुईं। यानी यहाँ एक चौथी संभावना है कि वह वस्तु अपनी स्वयं की ताकत से चल रही है, जो बृहस्पति के गुरुत्व बल का भी मुकाबला कर सकती है। इसका मतलब यह है कि वह चीज कोई अंतरिक्ष यान है जो अपनी शक्ति से चल रहा है।

और चौबीस घंटे के भीतर ही कंप्यूटर ने इस नई संभावना पर अपनी मुहर लगा दी। अब मामला गंभीर हो गया था। उसे आशंका थी कि कोई अंतरिक्ष यान इतना छोटा होगा कि बृहस्पति जितनी दूरी पर हबल स्पेस टेलीस्कोप एच.एस.टी. III भी उसे न देख पाए और उसी कारण से उसने इस संभावना को पहले खारिज कर दिया था। पर अब लगता है कि यह कोई विशाल अंतरिक्ष यान है या अंतरिक्ष यानों का पूरा बेड़ा। आगे के प्रेक्षणों ने इस दूसरी संभावना की पुष्टि की। कंप्यूटर ने खबर दी कि उस वस्तु ने अपना आकार बदल लिया है। मोटी गणनाओं से जूलियो ने निष्कर्ष निकाला कि उसमें करीब सौ अंतरिक्ष यान शामिल हो सकते हैं और अब वे मंगल की कक्षा के निकट पहुँच गए थे।

तो क्या वे पृथ्वी की ओर आ रहे थे? जूलियो इस नतीजे पर पहुँचा कि अब इस मामले से निपटना अकेले उसके वश की बात नहीं है। उसे अपने से ऊँचे वैज्ञानिकों को इन तमाम जानकारियों से अवगत कराना होगा। उसने कम्युनिकेटर बटन दबाया और अपनी पहचान बताई-"मैं निदेशक से बात करना चाहता हूँ, अभी! यह बेहद जरूरी है।"

एस.टी. एस.सी.आई. में काम करते हुए यह पहला मौका था जब जूलियो निदेशक से बात कर रहा था।

संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् में एक गोपनीय बैठक बुलाई गई। जब से रैंजा ने निदेशक को अपनी खोज के बारे में सूचित किया था, तब से बमुश्किल पाँच घंटे ही बीते होंगे, लेकिन उसके बाद से तमाम चीजें आनन-फानन में ही हो गईं।

सुरक्षा परिषद् में बीस सदस्य थे। हालाँकि उनके प्रतिनिधि नियमित रूप से चलनेवाली बैठकों के लिए न्यूयॉर्क में ही थे, मगर अत्यधिक संवेदनशील मसलों पर आयोजित बैठकों में राष्ट्र प्रमुखों का शामिल होना जरूरी था। यह और बात है कि विभिन्न राष्ट्र प्रमुख अपने देश में ही अपने-अपने दफ्तरों में बैठे-बैठे ऐसी बैठकों में शरीक हो सकते थे। यहाँ उन्हें डिस्टेंस कॉन्फ्रेंसिंग का लाभ मिलता था। यहाँ परदे पर इन राष्ट्र प्रमुखों की तसवीरों को जोड़-जोड़कर एक बड़ी तसवीर बनाई गई, जिसमें प्रत्येक भागीदार उसी वक्त बैठक में शरीक हो सकता था। यही परदा प्रत्येक भागीदार को अपने दफ्तर में भी दिखाई देता। इस तरह वे बैठक में ऐसे शरीक होते जैसे एक ही छत के नीचे इकट्ठा हो गए हों।

सुरक्षा परिषद् में प्रत्येक महाद्वीप से तीन-तीन सदस्य थे और कुल मिलाकर बीस सदस्य थे। ये सदस्य राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने की बजाय राष्ट्र संघों का प्रतिनिधित्व करते थे। किसी संघ में शामिल राष्ट्र मिलकर अपने राष्ट्र प्रमुखों में से किसी एक का चुनाव करते थे। भारतीय उपमहाद्वीप से अमरजीत सिंह वर्तमान में चेयरमैन थे।

इस गोपनीय बैठक का आरंभ भी अमरजीत सिंह के इन शब्दों के साथ हुआ-"दोस्तो, अपनी परिषद् के इतिहास में हम पहली बार सुरक्षा के ऐसे मसले पर चर्चा कर रहे हैं जिसका संबंध हमारी समूची धरती से है। यह चर्चा है- बाहरी आक्रमण के बारे में। आपको ताजा घटनाक्रमों की जानकारी तो मिल ही गई होगी। कुछ घंटे पहले ही वैज्ञानिक जूलियो रँजा ने अंतरिक्ष में तैरते हुए अंतरिक्ष यानों के बेड़े के बारे में सावधान किया था। अंतरिक्ष में तैनात दूरबीन एच.एस.टी. III ने इस बेड़े को देखा था, तब से हम अपने रेडियो और शीशेवाली दूरबीनों से इस बेड़े की प्रगति पर लगातार नजर रख रहे हैं। पृथ्वी-चंद्रमा रेडियो आधार-रेखा का उपयोग कर उस तैरते हुए बेड़े के उच्च आवर्द्धनवाले नक्शे निकाले जा रहे हैं। ये तमाम विस्तृत जानकारियाँ मिलते ही हमें इनके बारे में सूचित किया जाएगा। पर हमें तब तक इंतजार नहीं करना है : हमें अपनी संभावित काररवाई के बारे में अभी से चर्चा शुरू कर देनी चाहिए।"

बैठक के नियमों के अनुसार जो कोई भी पहले लाल बटन दबा देता उसे पहले बोलने का मौका मिलता। लेकिन जिन लोगों की शारीरिक प्रतिक्रियाएँ कुछ मंद थीं, उन्हें भी बोलने का मौका देने के लिए हरे बटन लगे थे, जिन्हें दबाकर वे चेयरमैन के सामने अपनी हस्तक्षेप करने की इच्छा' को प्रकट कर सकते थे। फिर चेयरमैन उपयुक्त अवसर पर संबंधित प्रतिनिधि को अपने विचार व्यक्त करने का अवसर देता।

आज रूस के स्टारोबिंस्की ने लाल बटन सबसे पहले दबाया। उन्होंने अपनी विचारणीय मुद्रा में बोलना शुरू किया, "क्या ये लोग सीधे हमारी ओर आ रहे हैं? अगर हाँ, तो क्या हमें तनिक भी आभास है कि वे हमारे दोस्त हैं या दुश्मन? अगर हम अभी कुछ भी नहीं जानते तो इन जानकारियों को जल्द-से-जल्द हासिल करने के लिए हम क्या कर रहे हैं?"

अगर उनका रुख दोस्ताना है तो ज्यादा जानकारी हासिल करने के लिए जल्दबाजी नहीं मचानी चाहिए।" मध्य-पूर्व के अबुल हसन ने दखल दिया, "पर जब तक पक्के तौर पर पता न चल जाए, हमें अपनी फौज को चौकस कर देना चाहिए।"

"जैसा कि मैं समझता हूँ, सबसे बढ़िया हथियारों से लैस हमारी बहुक्षेत्रीय फौजें धरती से 200 किलोमीटर दूर ऐसी जगह पर तैनात हैं, जहाँ से बाहरी घुसपैठिए गुजरेंगे। हमारी फौज के पास सबसे बढ़िया हथियार हैं।" तभी रोशनी की चमक से चेयरमैन को रुकना पड़ गया। उन्होंने रिसीवर उठाया और कुछ देर सुनते रहे। उनकी गंभीरता बढ़ती जा रही थी। रिसीवर रखकर उन्होंने दोबारा बोलना शुरू किया, "हमें स्टारोबिंस्की के पहले सवाल का जवाब मिल गया। अंतरिक्ष यानों का बेड़ा मंगल के पास से अपनी रफ्तार और दिशा बदलकर सीधे पृथ्वी की ओर आ रहा है। उस बेड़े की रफ्तार भी चकरानेवाली है। अनुमान है कि इस रफ्तार से तो वे तीस घंटे के भीतर यहाँ पहुँच जाएँगे।"

स्टारोबिंस्की ने फुरती से हिसाब लगाया। धरती का कोई भी अंतरिक्ष यान इस रफ्तार का मुकाबला नहीं कर सकता था। धरती से मंगल को भेजे गए तथाकथित अत्याधुनिक उच्च तकनीकी यान ने भी यह यात्रा एक पखवाड़े में पूरी की थी।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book