लोगों की राय

समाजवादी >> बलचनमा

बलचनमा

नागार्जुन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2002
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 3008
आईएसबीएन :000000

Like this Hindi book 18 पाठकों को प्रिय

48 पाठक हैं

गरीब जीवन की त्रासदी पर आधारित उपन्यास...

प्रथम पृष्ठ

Balachnama

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

‘बलचनामा’ के पिता का यही कसूर था कि वह जमींदार के बगीचे से एक कच्चा आम तोड़कर खा गया। और इस एक आम के लिए उसे अपनी जान गँवानी पड़ गई।

गरीब जीवन की त्रासदी देखिए कि पिता की दुखद मृत्यु के दर्द से आँसू अभी सूखे भी नहीं थे कि उसी कसाई जमींदार की भैंस चराने के लिए बलचनामा को बाध्य होना पड़ा। पेट की आग के आगे पिता की मृत्यु का दर्द जैसे बिला गया।

उस निर्मम जमींदार ने दया खाकर उसे नौकरी पर नहीं रखा था...बेशक उसे ‘अक्षर’ का ज्ञान नहीं था,लेकिन सुराज इन्किलाब जैसे शब्दों से उसके अन्दर चेतना व्याप्त हो गई थी। और फिर शोषितों को एकजुट करने का प्रयास शुरु होता है-शोषकों से संघर्ष करने के लिए।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book