अतिरिक्त >> मानव धर्म मानव धर्मराजेन्द्र मोहन भटनागर
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साक्षरता अभियान के अन्तर्गत धर्म, जाति, रंगभेद आदि से ऊपर उठने की प्रेरणा है यह पुस्तक...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
मानव धर्म
उज्जैन ऐतिहासिक नगर। कालिदास का नगर। राजा विक्रमादित्य का नगर।
महाकालेश्वर का नगर। शिप्रा नदी का नगर। अर्ध-कुम्भ और कुम्भ के लिए सारे
भारत में प्रसिद्ध नगर।
उज्जैन आना पूर्व-पुण्यों का सुफल माना जाता है। शिप्रा नदी के तट पर कोई-न-कोई संत पुरुष, चमत्कारी बाबा और और बारह वर्ष हिमालय पर तप करके सिद्धि पानेवाला बाबा वहाँ अवश्य डेरा डाले मिल जाएगा।
नगर सुंदर है। मन लगने वाला है। सुकून देने वाला है। वहाँ आने वाले व्यक्ति के बिगड़े काम सहज बन जाते हैं।
जितने मुँह उतनी बातें। श्रद्धा गहरी। भक्ति की महिमा अपरम्पार।
माधवी अपने पति के साथ उज्जैन आई। माधवी थी तो पढ़ी-लिखी। नवयुवती। चारेक साल हुए थे उसकी शादी को। पर थी वह पुराने विचारों की। हर पुरानी चीज़ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने वाली।
माधवी को देखने से नहीं लगता कि वह रूढ़िवादी है, वैसे बिल्ली के रास्ता काटने को अपशकुन मानने वाली है और संतों के प्रति अंध श्रद्धा रखने वाली है। कारण, माधवी आधुनिक ढंग के वस्त्र पहनती है। बहुत सुंदर है। हिन्दी और अँगरेजी में धड़ल्ले से बात कर सकती है। देश के बाहर बर्मा, मोरिशस आदि भी घूम चुकी है।
उज्जैन आने का भी एक विशेष कारण था। उसने माँ कालभैरवी के बारे में अखबार में पढ़ा था। अखबार वालों ने उसका साक्षात्कार भी छापा था। वे सभी उससे बहुत प्रभावित हुए थे।
सच तो यह था कि उसकी माँ कालभैरवी के दर्शन कर आई थी। उसे साक्षात् ईश्वर का अवतार बतलाया था।
आज के युग में भगवानों की भीड़ हो चली है। उनमें भी प्रतियोगिता शुरु हो चुकी है। ईश्वर भी कम नहीं हैं।
उज्जैन आना पूर्व-पुण्यों का सुफल माना जाता है। शिप्रा नदी के तट पर कोई-न-कोई संत पुरुष, चमत्कारी बाबा और और बारह वर्ष हिमालय पर तप करके सिद्धि पानेवाला बाबा वहाँ अवश्य डेरा डाले मिल जाएगा।
नगर सुंदर है। मन लगने वाला है। सुकून देने वाला है। वहाँ आने वाले व्यक्ति के बिगड़े काम सहज बन जाते हैं।
जितने मुँह उतनी बातें। श्रद्धा गहरी। भक्ति की महिमा अपरम्पार।
माधवी अपने पति के साथ उज्जैन आई। माधवी थी तो पढ़ी-लिखी। नवयुवती। चारेक साल हुए थे उसकी शादी को। पर थी वह पुराने विचारों की। हर पुरानी चीज़ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने वाली।
माधवी को देखने से नहीं लगता कि वह रूढ़िवादी है, वैसे बिल्ली के रास्ता काटने को अपशकुन मानने वाली है और संतों के प्रति अंध श्रद्धा रखने वाली है। कारण, माधवी आधुनिक ढंग के वस्त्र पहनती है। बहुत सुंदर है। हिन्दी और अँगरेजी में धड़ल्ले से बात कर सकती है। देश के बाहर बर्मा, मोरिशस आदि भी घूम चुकी है।
उज्जैन आने का भी एक विशेष कारण था। उसने माँ कालभैरवी के बारे में अखबार में पढ़ा था। अखबार वालों ने उसका साक्षात्कार भी छापा था। वे सभी उससे बहुत प्रभावित हुए थे।
सच तो यह था कि उसकी माँ कालभैरवी के दर्शन कर आई थी। उसे साक्षात् ईश्वर का अवतार बतलाया था।
आज के युग में भगवानों की भीड़ हो चली है। उनमें भी प्रतियोगिता शुरु हो चुकी है। ईश्वर भी कम नहीं हैं।
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