मनोरंजक कथाएँ >> शिक्षाप्रद कहानियाँ शिक्षाप्रद कहानियाँरामगोपाल वर्मा
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ढ़िंढो़रची ढिंढौरा पीटता चला जा रहा था। बच्चों और बड़ों की भीड़ उसके पीछे-पीछे चल रही थी।
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
राजकुमारी
1
ढ़िंढो़रची ढिंढौरा पीटता चला जा रहा था। बच्चों और बड़ों की भीड़ उसके
पीछे-पीछे चल रही थी। चौराहे पर पहुंचकर एक बंद दुकान के चबूतरे पर चढ़कर
ढिंढौरा पीटना बंद कर दिया और सबको सम्बोधित करते हुए चिल्लाने
लगा-
‘‘सुनो, सुनो, सुनो ! ध्यान से सुनो ! कान लगाकर सुनो ! राजा साहब का फ़रमान सुनो ! राजकुमारी जी ने छः महीने तब लगातार गरीबों को वस्त्र और आभूषण बाँटे। ग़रीबों की चिन्ता व्यथा सुनते-सुनते वे रात-दिन चिंता में डूब कर हँसना भूल गयी हैं। जो भी व्यक्ति उन्हें हँसायेगा, राजा की ओर से हीरों भरे 100 थाल उसे दिए जाएँगे। और यदि वह नहीं हँसा पाया तो उसे हाथी के पैरों तले कुचलवा दिया जाएगा।’’
ढिढ़ोंरची ढ़िढ़ौरा पीटता आगे बढ गया। लोग आपस में बातें करने लगे। कल्लू ने लल्लू से पूछा-
‘‘भैया एक थाल में कितने हीरे होंगे ?’’
‘‘लगभग सौ !’’
‘‘एक थाल में सौ हीरे और सौ थालों में ?’’
‘‘क्यों भैया एक बात तो और बताओ, एक हीरा कितने रूपये का बिकता है ?’’
‘‘दस हजार रुपये का।’’
‘‘तब तो राजकुमारी को हँसाने के लाखों रुपये
मिल जाएंगे ?’’
‘‘हाँ !’’
‘‘सुनो, सुनो, सुनो ! ध्यान से सुनो ! कान लगाकर सुनो ! राजा साहब का फ़रमान सुनो ! राजकुमारी जी ने छः महीने तब लगातार गरीबों को वस्त्र और आभूषण बाँटे। ग़रीबों की चिन्ता व्यथा सुनते-सुनते वे रात-दिन चिंता में डूब कर हँसना भूल गयी हैं। जो भी व्यक्ति उन्हें हँसायेगा, राजा की ओर से हीरों भरे 100 थाल उसे दिए जाएँगे। और यदि वह नहीं हँसा पाया तो उसे हाथी के पैरों तले कुचलवा दिया जाएगा।’’
ढिढ़ोंरची ढ़िढ़ौरा पीटता आगे बढ गया। लोग आपस में बातें करने लगे। कल्लू ने लल्लू से पूछा-
‘‘भैया एक थाल में कितने हीरे होंगे ?’’
‘‘लगभग सौ !’’
‘‘एक थाल में सौ हीरे और सौ थालों में ?’’
‘‘क्यों भैया एक बात तो और बताओ, एक हीरा कितने रूपये का बिकता है ?’’
‘‘दस हजार रुपये का।’’
‘‘तब तो राजकुमारी को हँसाने के लाखों रुपये
मिल जाएंगे ?’’
‘‘हाँ !’’
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