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लज्जा

तसलीमा नसरीन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :176
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 2125
आईएसबीएन :81-7055-777-1

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प्रस्तुत उपन्यास में बांग्लादेश की हिन्दू विरोधी साम्प्रदायिकता पर प्रहार करती उस नरक का अत्यन्त मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है...


केसर ने कहा, 'चट्टोग्राम के तुलसीधाम, पंचाननधाम, कैवल्यधाम मंदिर को तो धूल में मिला दिया इसके अलावा मालीपाड़ा, श्मशान मंदिर, कुरबानीगंज, कालीवाड़ी, चट्टेश्वरी, विष्णुमंदिर, हजारी लेन, फकीर पाड़ा, इलाके के सभी मंदिरों को लूटकर आग लगा दी है।' थोड़ा रुककर सिर झटकते हुए केसर ने कहा, 'हाँ, साम्प्रदायिक सद्भावना जुलूस भी निकाला गया।'

सुरंजन एक लम्बी सांस छोड़ता है। केसर ने दाहिने हाथ से बालों में उँगलियाँ फेरते हुए कहा, 'कल सिर्फ मंदिर ही नहीं, माझीघाट मछुआपट्टी में भी आग लगा दी गई। कम-से-कम पचास घर जल कर राख हो गए।

'फिर क्या हुआ?' सुरंजन ने उदासीन भाव से पूछा।

'नरसिंदी में चलाकचड़ और मनोहरदी के घर और मंदिरों को जला दिया गया। नारायणगंज में रूपगंज थाना के मरापाड़ा बाजार के मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया। कुमिल्ला के पुराने अभय आश्रम को जला दिया गया और नोवाखाली में भी सभी जघन्य काण्ड किए गए।

'वह कैसे?'

‘सुधाराम थाना के अधरचाँद आश्रम सहित और भी सात हिन्दू घरों को जला दिया है। गंगापुर गाँव में जितने भी हिन्दू परिवार थे, पहले लूटा, वाद में जला दिया। सोनारपुर के शिवकाली मंदिर और विनोदपुर के अखाड़ा को भी खत्म कर दिया। चौमुहानी का काली मंदिर, दुर्गापुर का दुर्गाबाड़ी मंदिर, कुतुबपुर और गोपालपुर के मंदिर भी तोड़ दिए। डॉ. पी. के. सिंह की दवा की फैक्टरी, अखण्ड आश्रम तथा छयानी इलाके के मंदिरों को भी धूल में मिला दिया गया। चौमुहानी बाबूपुर, तेतुइया मेंहदीपुर, राजगंज बाजार टेगिरपाड़ा, काजिरहाट, रसूलपुर, जमीदारहाट, पोड़ावाड़ी के दस मंदिरों को और अट्ठारह हिन्दू घरों को लूट कर जला दिया गया। जिसमें एक दुकान, एक गाड़ी और एक महिला भी जल गई। भावर्दी के सत्रह मकानों में से तेरह को जलाकर राख बना दिया गया। हर घर को लूटा गया और महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ। विप्लव भौमिक 'स्टेब्ड' हैं। कल विराहिमपुर के सभी घर व मंदिर उनकी चपेट में आये हैं। इतना ही नहीं, जगन्नाथ मंदिर, चरहाजीरी गाँव की तीन दुकानें व क्लब को भी लूटा और तोड़ा गया। चरपार्वती गाँव के दो मकान, दासेर हाट का एक मकान, चरकुकरी और मुछापुर के दो मंदिर व जयकाली मंदिर को भी जला दिया गया। सिराजपुर के प्रत्येक व्यक्ति को पीटा गया, हर घर को लूटा गया और अंत में उन घरों को जला दिया गया।'
 

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