जीवन कथाएँ >> लज्जा लज्जातसलीमा नसरीन
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प्रस्तुत उपन्यास में बांग्लादेश की हिन्दू विरोधी साम्प्रदायिकता पर प्रहार करती उस नरक का अत्यन्त मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है...
काजल ने फिर शुरू किया, 'क्या फारेन सर्विस में एक भी अल्पसंख्यक है। मुझे तो लगता है, नहीं है।'
सुभाष मोढ़े पर बैठ गया था। अचानक खड़ा हो गया। बोला, 'नहीं काजल दा, नहीं हैं।'
कमरे में कारपेट बिछा हुआ था, सुरंजन कारपेट पर एक कुशन में पीठ टिकाये बैठ गया। उसे उनकी बातचीत अच्छी लग रही थी।
कबीर चौधरी ने कहा, 'पाकिस्तान के समय से अब तक बांग्लादेश में अवामी लीग के शासन काल में एक मात्र हिन्दू मनोरंजन धर को कुछ दिनों के लिए जापान में बांग्लादेश का राजदूत बनाकर भेजा गया था।'
'उच्च शिक्षा के लिए, विदेशों में प्रशिक्षण दिये जाने के मामले में भी हिन्दुओं से परहेज किया जाता है। कोई लाभदायक व्यवसाय अब हिन्दुओं के हाथ में नहीं है। बिजनेस करने के लिए मुसलमान साझेदार के न रहने पर हमेशा लाइसेंस भी नहीं मिल पाता। इसके अलावा शिल्प ऋण संस्थाओं से इंडस्ट्री के लिए ऋण भी नहीं मिल पाता।' अंजन ने कहा, 'हाँ, मैंने खुद गारमेंट तैयार करने के लिए लाइसेंस निकालने में कितना जूता घिसवाया है।'
सुभाष बोला, “एक बात पर ध्यान दिये हैं, रेडियो, टेलीविजन में कुरान की वाणी सुनाकर कार्यक्रम शुरू करते हैं। कुरान को पवित्र ग्रन्थ' कहा जाता है। लेकिन गीता या त्रिपिटक से पाठ करते समय 'पवित्र' नहीं कहा जाता।'
सुरंजन ने कहा, 'दरअसल कोई धर्म ग्रंथ पवित्र नहीं है। सब बदमाशी ही है। सवको फेंक देना चाहिए। माँग कर सकते हैं कि रेडियो टी. वी. पर धर्म का प्रचार बंद करना होगा।'
महफिल थोड़ी-सी ठंडी पड़ गयी। सुरंजन को चाय पीने की तलब होती है। संभवतः इस घर में चाय का कोई इंतजाम नहीं है। उसे मन हुआ कि कालीन पर लेट जाए। लेटे-लेटे सबके अंदर जो कष्ट की अनुभूति हो रही है, उसको महसूस करे।
काजल देवनाथ धर्म-पाठ के खत्म होने की बात कहते रहे किसी भी सरकारी कार्यक्रम में, हर सभा-समिति में कुरान का पाठ किया जा रहा है। गीता से तो कभी नहीं किया जाता? पूरे वर्ष सरकारी हिन्दू कर्मचारियों के लिए मात्र कुछ दिनों की छुट्टी की व्यवस्था है। उनको ऐच्छिक छुट्टी लेने का अधिकार नहीं है। प्रत्येक प्रतिष्ठान में मस्जिद निर्माण करने की घोषणा की गयी है लेकिन मंदिर निर्माण करने की बात तो कभी नहीं कहते। प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपये खर्च करके मस्जिद का निर्माण किया जा रहा है, पुरानी मस्जिदों का निर्माण कार्य भी चल रहा है, लेकिन क्या मंदिर, गिरजा, पैगोडा के लिए एक पैसा भी खर्च किया जाता है?'
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