कहानी संग्रह >> किर्चियाँ किर्चियाँआशापूर्णा देवी
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ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कहानी संग्रह
इसके
बाद ही छत के किनारे चिनी दीवार के पास दो जनों के बीच आपा-धापी दीख
पड़ा।...और तभी स्त्री के गले की एक चीख...'अरे मुझे मार डाला रे...' के
साथ ही दोमंजिली छत के ऊपर से एक भारी-सी चीज नीचे गिरी...धम्म की आवाज के
साथ ही शरत की माँ चिल्ला पड़ी...'अरे यह क्या...सर्वनाश हो गया रे'...और
इसके साथ ही सब-कुछ एकबारगी थम गया। यह सारा मामला बस कुछ ही सेकेण्ड में
खत्म हो गया...हम सब भी सवेरेवाली गाड़ी से आपको यह खबर देने के लिए निकल
पड़े।...हमें पता है...वे लोग सारी बातें मूँद-तोप देंगे। कहेंगे...छत पर
सो रही थी...नींद के नशे में उसने यह समझा होगा कि सीढ़ियों पर से उतरती आ
रही है और टूटी मुँडेरवाली चारदीवारी के फाँक में उसका पाँव चला
गया।...रात के आखिरी पहर में शशि कुण्डु की घरवाली यही सारी बातें वक रही
थी और छाती पीट रही थी।
''अच्छा...तो
अब हम सब चलते हैं। अभी साढ़े ग्यारह बजेवाली गाड़ी से ही हमें लौटना
होगा।...हमने सोचा था कि अचानक उस बुरी खबर को सुनकर अगर जो आप कहीं अपनी
सुध-बुध खो बैठे तो हम आपको साथ ही स्टेशन तक लिवा लाएँगे। लेकिन आप हैं
कि हमारा विश्वास ही नहीं करना चाहते...खैर! चलो भई...इस कलियुग में किसी
का भला नहीं करना चाहिए।''
वे लोग रवाना होने को हुए।
दो
सेकेण्ड बाद ही इस गिरोह का नेता वापस लौटा और बोला, ''इसके बाद वाली
गाड़ी साढ़े पाँच बजे है...पहुँचते-पहुँचते रात हो जाएगी। इसके बाद लाश
सड़ने लगेगी...अगर आपको जाना हो तो...बताइए! साथ में हम लोग भी रहेंगे।''
इन
लोगों का आग्रह देखकर बलराम साहा के मन में जो सन्देह पैदा हो गया था वह
एक बार फिर पक्का हो गया।...इस दुनिया में तरह-तरह के लफंगे और उचक्के
हैं। आये दिन ऐसी घटनाएँ सुनने में आती हैं कि किसी परिचित के बारे में
कोई बुरी खबर देकर लोगों को साथ ले जाया जाता है और उन्हें तंग किया जाता
है।...
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