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बेनजीर - दरिया किनारे का ख्वाब

प्रदीप श्रीवास्तव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :192
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 16913
आईएसबीएन :9781613017227

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प्रदीप जी का नवीन उपन्यास

इतना ही नहीं अम्मी हर मौके पर पास-पड़ोस से लेकर, हर मिलने वाले से सारी बातें बताकर यह जरूर कहतीं थीं कि मेरी, मेरे बच्चों की जान खतरे में है। मुझे कुछ हो जाए तो पुलिस को खबर कर देना। इन बातों से अब्बू बहुत दबाव में आ जाते थे। जिससे अम्मी की दुश्वारियाँ और बढ़तीं। घर का आँगन जंग का मैदान बन जाता। यह जंग तब और बड़ी, डरावनी हो गई जब अब्बू मेरी सौतेली अम्मी को भी घर लेते आए। अब रोज ही घर में जो हंगामा होता, उससे पास-पड़ोस के लोग भी ना चाहते हुए भी अतंतः बीच-बचाव कराने को विवश हो जाते।

अम्मी बार-बार यही कहतीं, यह झूठे दगाबाज हैं, मक्कार हैं। मेरी संपत्ति हथियाने के लिए मुझसे दगाबाजी की, और दगा देकर ही निकाह भी किया। यह मुझे तलाक दें और मुझे, मेरा मकान व बच्चों को छोड़ कर जाएं। मुझे मेरा मेहर भी नहीं चाहिए। रख लें उसे। उन्होंने गुनाह किया है मैं एक गुनाहगार के साथ नहीं रह सकती। अम्मी 'खुला' देने की धमकी तो बार-बार देतीं, लेकिन दे नहीं पाईं। अम्मी, बड़ी अम्मी को भी जलील करतीं। कहतीं तुम एक गुनाहगार का साथ दे रही हो। एक सताई औरत को परेशान कर रही हो। इस जुल्म की सजा तुम्हें अल्लाहताला जरूर देंगे। इस आदमी ने तुम्हें, मुझे एक साथ धोखा दिया है। जो तुम्हारा नहीं हुआ, वह मेरा कहाँ से हो जाएगा। इसने हमें धोखा दिया और ना जाने कितनों को देगा। ऐसे गुनाहगार को छोड़ देना ही सही है।

कई रिश्तेदार, दूसरे लोग झगड़ों और अम्मी के रुख को देखकर कहते, 'रोज-रोज के झगड़े से अच्छा है तलाक देकर शांति से क्यों नहीं रहते।' मगर सबकी बातों का अब्बू एक ही जवाब देते, 'मैं गुनाहगार नहीं हूँ। मैंने कोई धोखा नहीं दिया है। मैंने दोनों से निकाह किया है। दोनों को बेपनाह चाहता हूँ। इसलिए किसी को तलाक नहीं दूंगा। उनकी बातों से बड़ी अम्मी भी सहमत नहीं होतीं। उन्हें मेरी अम्मी की बातें सही लगतीं। जब वह बोलतीं तो अब्बू बच्चों के सामने ही उन्हें बुरी तरह पीट-पीटकर अधमरा कर देते।

चीखते-चिल्लाते, कहते, 'इसके बहकावे में आकर मुझे गुनहगार कह रही है। दोनों मिलकर मेरे खिलाफ साजिश कर रही हो।' इसी बात को लेकर एक दिन विवाद इतना बढ़ा कि, अब्बू ने बड़ी अम्मी को तीन सेकेंड में तलाक-ए-बिद्दत दे दिया। तलाक देकर बच्चों सहित बड़ी अम्मी को आधी रात को घर से धक्के देकर बाहर निकाल दिया। जाड़े का दिन था। वह घर के बाहर मारपीट से बुरी तरह चोट खाई दीवार के सहारे बैठी रोती रहीं। बच्चे भी, जो आठ से बारह साल तक के थे।'

मैंने देखा कि बेनज़ीर बड़ी अम्मी के बाहर निकाले जाने की बात बताते हुए बहुत भावुक हो गईं। उस पर नियंत्रण के लिए उन्होंने टेबिल पर रखे एक वायरलेस स्विच को उठाकर उसके बीच में बने एक बटन को दो बार दबाया। फिर वापस रखते हुए कहा, 'आप मुझे अगर, इतना गौर से देखते रहेंगे तो जो बताना है मैं वही भूल जाऊँगी।' यह कह कर वह हँस दीं। उनकी इस बात से न मैं सकपकाया, ना ही मन में कोई संकोच हुआ।

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