नई पुस्तकें >> आँख का पानी आँख का पानीदीपाञ्जलि दुबे दीप
|
0 |
दीप की ग़ज़लें
4. भरोसा अगर हो तो इक़रार होगा
भरोसा अगर हो तो इक़रार होगा
दुखेगा बहुत दिल जो इन्कार होगा
जगा दे जो आवाम अपनी क़लम से
क़लमकार वो ही असरदार होगा
वसीयत में कोई लिखेगा तभी तो
नशेमन में अपना भी अधिकार होगा
सियासत की दुनिया में हैं सब फरेबी
'अटल' सा न अब कोई किरदार होगा
जो कठपुतलियों सा नचाता है सबको
यक़ीनन वो कोई फ़ुँसू-कार होगा
अभी माना तुझको मुहब्बत नहीं है
मगर तय है इक दिन गिरफ़्तार होगा
जले 'दीप' तो तीरगी दूर होगी
नहीं फिर चमन में ये अँधियार होगा
|
लोगों की राय
No reviews for this book