नई पुस्तकें >> आँख का पानी आँख का पानीदीपाञ्जलि दुबे दीप
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दीप की ग़ज़लें
6. कर लें यक़ी हमारा ये कहते ज़बाँ से हम
कर लें यक़ी हमारा ये कहते ज़बाँ से हम
गुज़रे तुम्हारे वास्ते हर इम्तिहाँ से हम
वादा जो साथ हमसे निभाने का तुम करो
तारे भी तोड़ लाएँगे इसआसमाँ से हम
दिलवर हमारा इतना हसीं है कि दोस्तों
लड़ जाएं उसके वास्ते सारे जहाँ से हम
हमने सफ़र शुरू'अ किया भीड़ जुड़ गई
राहों में जाने कितने मिले कारवाँ से हम
हम चाक कर कलेजा तुम्हें हाथ में दे दें
कैसे यक़ीं दिलाएं तुम्हें इस बयाँ से हम
मंजिल की चाहतों में सदा भागते रहे
कब ठौर पायेंगे बता दौर-ए-रवाँ से हम
के 'दीप' ज़िंदगी मिली अधिकार भी मिला
पहचान हिन्द से हुई हिंदोस्ताँ से हम
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