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ऐतिहासिक >> हेमचन्द्र विक्रमादित्य

हेमचन्द्र विक्रमादित्य

शत्रुघ्न प्रसाद

प्रकाशक : सत्साहित्य प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1989
पृष्ठ :366
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 1604
आईएसबीएन :00000

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हेमचन्द्र नामक एक व्यापारी युवक की कथा जिसने अकबर की सेना से लड़ने का साहस किया!


सत्तावन



अपनी रावटी में नादिरा बांदी से बातचीत कर रही थी। शादी खां लाहौर और दिल्ली से होकर लौटे हैं, आगरे की क्या खबर है ? नये बादशाह इब्राहिमशाह के बारे में जानना है। शादी खां के सिपाहियों से जानकारी मिल सकती है।

बांदी नादिरा के इशारे पर सिपाहियों से मिलने चली गई। नादिरा सोचने लगी कि बादशाह आदिलशाह बीमार पड़े हैं। बदन के ऊपर के जख्म सूख रहे हैं, लेकिन बदन के अन्दर भी जख्म हैं। तभी तो खांसने लगे हैं, अब ये पड़े रहेंगे, खांसते रहेंगे। अब उसे क्या दे सकेंगे ? हेमू की नफरत की आग से भी बचा नहीं सकेंगे, लेकिन वे आज भी उसके आशिक हैं। वे उसे छोड़ना नहीं चाहते, उनकी बेगमें अपने बीमार शौहर को घेरे रहती हैं। वह बादशाह के बाजू में बैठकर क्या करे ? वे उससे कुछ सुनना चाहते हैं, वह गजल सुना देती है। वे नाच देखना चाहते, वह नाच लेती है। वे खुश हो जाते हैं। वह भी मुस्करा देती है, बेगमें जल उठती हैं। लगता है कि वे उसे जिन्दा जला देंगी। वह आतिश फिशां पर बैठी लग रही है। आगरा की अच्छी खबर मिल जाय तो वह यहां से रुखसत हो जाये।

बांदी आगरा की जानकारी लेकर आ गई। उसने देख लिया कि उसका पीछा किया जा रहा है। वह डर से कांपती हुई रावटी में आई। नादिरा ने भी देख लिया कि कोई आसपास मंडरा रहा है, वह भी डर गई। बांदी ने अपनी आवाज को दबाकर दिल्ली-आगरे का हाल बता दिया। इब्राहिम के पतन की खबर सुनकर नादिरा चौंक उठी। वह शून्य में देखने लगी, स्याह आसमान दिखाई पड़ा। उसकी नजर रावटी की छोटी खिड़की की ओर गई, कोई कान लगाए हुए था।

होंठ काटकर बुदबुदायी-वह हेमू का बच्चा दूर चला गया है। लेकिन वह उसे धमकाने लगा है, खुदा उसे मौत ला दे। वह उसका कुछ बिगाड़ नहीं सकी, उधर आका इब्राहिम खां साहब तख्त से हटा दिए गए। सिकन्दर शाह तख्तनशीन हो गया है, ये अफगान सरदार आपस में लड़कर कट मरेंगे, उसे क्या ? कोई भी आए, मुगल ही आए। लेकिन उसे यहां से चल देना चाहिए। बहुत कुछ पा चुकी है, अब कोई उम्मीद नहीं है। जान पर खतरा जरूर है, यह बूढ़ा शादी खां भी उससे नफरत ही करता है, अब उसकी खैर नहीं। वैसे वह चाहे तो अपनी दौलत से किसी अफगान सरदार को खरीद सकती है, लेकिन फायदा क्या होगा?

उसने तय कर लिया कि उसे यहां से चल देना है, यहां रहना फिजूल है। उसने खिड़की की ओर देखा, कोई नहीं था। उसने अपने नौकर को बाहर भेजा जिससे हेमचन्द्र की जासूसी का अन्दाज मिल सके और फिर नौकरानी के कानों में कुछ कहा।

नादिरा का नौकर रावटी के बाहर किसी से उलझने लगा, कुछ ही देर में पीठ सहलाता हुआ लौट आया। नादिरा गुस्से में आ गई। वह बादशाह से शिकायत करेगी, लेकिन बीमार बादशाह क्या कर सकेंगे ! वह कुछ शिकायत भी नहीं कर सकेगी। अन्दर बेगमें हैं, बाहर शादी खां हैं। वह अकेली पड़ गई है, अब खैरियत नहीं है। किसी के जरिए हल्ला कराया जाय कि दौलत के लिए उसका कत्ल कर दिया गया है। बादशाह छटपटायेंगे, हेमचन्द्र सफाई देगा, ये खुद ही आपस में लड़ मरेंगे।

आदिलशाह बेचैन थे कि नादिरा अभी तक नहीं आई है। बेगमें बादशाह की इस बेचैनी पर खीझ रही थीं। शादी खां काशी से वैद्यराज को लेकर आ गये। बेगमें पर्दे में चली गयीं। बादशाह ने तिलक चंदन वाले वैद्य को देख मुंह फेर लिया। नादिरा के बदले तिलक चंदन वाला कहां से आ गया? लेकिन वे बोल नहीं सके। वैद्य की उंगलियों में उनकी कलाई आ गई। नब्ज को पकड़कर रोग का अनुमान करने लगे। कुछ क्षणों के बाद रोग की जानकारी मिल गई। वैद्यराज ने शादी खां को बता दिया कि यह तो राजरोग है, राजयक्ष्मा है, फेफड़े की बीमारी है। शराब और साकी से दूर रहकर समय पर ओषधियां, पौष्टिक भोजन और इन्हें पूर्ण विश्राम चाहिए।

शादी खां ने बादशाह की ओर देखा। चेहरे को देखते रहे, और फिर वैद्यराज की सलाह को कबूल किया, और दवाओं के लिए वैद्य के साथ बाहर चले गए।

आदिलशाह ने खबर भेज दी कि वे नादिरा को याद कर रहे हैं। नादिरा तो आहिस्ता-आहिस्ता अपने सामान को इकट्ठा कर रही थी, उसे खबर मिली। उसने सोचा कि वह आखिरी बार नाच ले, कुछ और पा ले, शक नही हो। फिर मुगल तो आ ही धमकेंगे। उनका आफताब आसमान में चमकेगा, लेकिन एक रुकावट है-हेमचन्द्र। उसने भागने की तैयारी के लिए अपने नौकर को शहर में भेज दिया, और खुद सज-धज कर बादशाह के पास पहुंची। धुंघरू की आवाज सुनकर बादशाह का चेहरा खिल उठा, उसने कोनिश की। बादशाह उसे निहारने लगे, वह एक कदम पीछे हटी। नाचना शुरू किया, लगा कि घुंघरुओं के संगीत पर रूप की वर्षा हो रही है। आदिलशाह भीग रहे हैं, बेगमें दूर-दूर बैठी रहीं। बादशाह ने अपनी एक बेगम को इशारे से बुलाया। अपना जड़ाऊ हार नादिरा को देने के लिए कहा। वह बिफर उठी। बादशाह की आंखों के डोरे लाल हो गए। उसने हार उतार कर नादिरा को दे दिया। नादिरा ने बेगम के सामने झुककर सलाम किया, और फिर बादशाह सलामत के आगे झुकी। अपने स्पर्श से उन्हें रोमांचित कर दिया, उनकी आंखें मुंद गयीं।

नादिरा रुकी रही, देखती रही। फिर इजाजत लेकर लौटना चाहा। बादशाह इजाजत नहीं दे रहे थे, लेकिन नादिरा ने अपनी शीरी जुबान में इसरार किया। बादशाह ने इजाजत दे दी। वह जड़ाऊ हार को गले से लगाए लौट आई। भागने की तैयारी करने लगी। रात के अंधेरे में वह निकल जाएगी। शहर में पालकियां तैयार मिलेंगी, पहरेदार भी मिल जाएंगे।

अफगान सरदार को उसके भागने की जानकारी मिल गई। हेमचन्द्र ने उसे कुछ समझाया था, उसने कुछ और सोच लिया। उसने नादिरा को फौजी छावनी से भागने दिया। नादिरा पहरेदारों को कुछ ले-देकर निकल गई। शहर पहुंचकर पालकियों में कपड़े-जेवर रखकर नौकरानियों के साथ भाग चली। शहर से बाहर हुई। अफगान सरदार ने एक सराय के पास आ घेरा। नंगी तलवारें देख वह घबरा उठी। उसके पहरेदारों ने लोहा लेना चाहा। उनकी मौत सामने आ गई, नादिरा सिसक उठी।

सरदार ने कड़क आवाज में कहा-'रक्कासा ! बादशाह को लूटकर नहीं जा सकती।'

'कातिल लुटेरे ! मैंने लूटा नहीं है। तुम लूट रहे हो। तुम्हें शर्म आनी चाहिए।' नादिरा ने हिम्मत करके जवाब दिया।
'अभी तक तुम बादशाह सलामत की जिन्दगी से खिलवाड़ कर रही थी, अब हम तुम्हारी जिन्दगी से खेलेंगे।'
'तुम क्या चाहते हो ?'
'एक तवायफ से हम क्या चाहेंगे। हम तो गुनाह को मिटा देना चाहेंगे।'
'नहीं, तुम ऐसा नहीं कर सकते। किसी बेकसूर औरत को मारकर गुनहगार न बनो।'
'तुम औरत नहीं हो, गुनाह की आग हो। आग जला कर भाग रही हो, इस आग में तुम्हें भी जलना होगा।'
'यह किसकी साजिश है ? मैं सब समझती हूं।'
'यह साजिश इब्राहिम खां की है या मुगल सरदार की, अब इसका पता चल जायेगा।'

'अफगान सरदार ! इतने बेरहम न बनो, मुझसे दौलत ले लो।'

'यह दौलत तो मेरी है ही।' यह कहकर अफगान सरदार ने जेवर और सिक्कों वाली पालकी पर कब्जा कर लिया।

नादिरा छाती पीटने लगी। अचानक उसने एहसास किया कि तलवार की नोंक उसकी गरदन पर है, वह सिहर उठी। वह सरदार के पैरों पर गिर पड़ी। सरदार अंधेरे में मुस्कराता रहा। वजीरे आजम और सिपहसालार हेमचन्द्र के हुक्म को भूल गया। वह नादिरा को सराय के भीतर ले गया। शाही रक्कासा सरदार के आगोश में आ गिरी।

रात बीतते-बीतते नादिरा कुछ जेवरों और कुछ सोने के सिक्कों के साथ भागने में कामयाब हो गई।

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