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रुकतापुर

पुष्यमित्र

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :240
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15544
आईएसबीएन :9789389598674

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जा झाड़ के, मगर कैसे रोजी-रोजगार के मामले में ठहरा हुआ प्रदेश

जा झाड़ के, बिहार की एक लोकभाषा का पॉपुलर गीत है। यहाँ झाड़ने का आशय आप झटककर चलने से ले सकते हैं। पिछले कई दशकों से पिछड़ेपन की पहचान झेल रहा बिहारी समुदाय इस गीत को इसलिए पसन्द करता है, क्योंकि वह झाड़कर चलना चाहता है ताकि देश के दूसरे हिस्से के लोगों के साथ कदमताल कर सके । मगर यह करना उसके लिए इतना आसान नहीं है। उसके कदमों में सौ-सौ मन के पत्थर बँधे हैं।

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