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अजनबी

राजहंस

प्रकाशक : धीरज पाकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :221
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 15358
आईएसबीएन :0

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राजहंस का नवीन उपन्यास

“आइये...रूबी मेमसाहब स्नान कर रही हैं।” बूढ़ी औरत

एक तरफ हट गई। उसके चेहरे से लगा कि रूबी ने विकास के विषय में उसको बता रखा है।

कुछ ही देर बाद रूबी कमरे में दाखिल हुई। इस समय उसने बेलबाटम व शर्ट पहन रखी थी, बालों में तौलिया लिपटा हुआ था।

"हैल्लो विकास।" रूबी ने चहक कर कहा।

"तुम्हारे कहने के मुताबिक आ गया हूं।” विकास ने कहा।

“वो तो तुम्हें आना ही था आखिर इज्जत किसे प्यारी नहीं होती।”

"तुम्हारा कहना सही है।"

"लाओ फिर माल निकालो।”

विकास ने ब्रीफकेस रूबी के हाथों में थमा दिया।

"अरे बैठो।”

"नहीं अब चलूंगा आफिस जाना है।”

रूबी ने विकास का हाथ पकड़ा और कुर्सी पर बैठा दिया।

"नाश्ता करके जाना मुझे भी चलना है तुम्हारे साथ ही चलूंगी।"

"पर मैं तो आफिस जाऊंगा।" विकास रूबी को साथ नहीं ले जाना चाहता था।

"मुझे बाजार में उतार देना, आज मेरी गाड़ी खराब है।"

“ठीक है।” विकास ने देखा रूबी उसे छोड़ने वाली नहीं है।

“लता के क्या हाल चाल हैं?"

"मैं नहीं जानता।”

"अरे क्या कुछ अनबन हो गई है?"

“नहीं वह आजकल छुट्टी पर है।"

"परन्तु उसका फ्लैट तो तुम जानते हो।”

"अब मैं इन झंझटों में नहीं पड़ना चाहता।"

"क्या सुनीता की नजरों में अपने को अच्छा बनाना चाहते हो?"

"वो तो हूँ ही।"

"यहीं तो तुम गलत हो।"

"क्यों?”

"मैंने सुनीता को लता के फ्लैट पर देखा है।"

"क्या...?" विकास को लगा उसके चारों ओर अंधेरा ही अंधेरा है।

"हाँ...अगर विश्वास न हो तो लता से पता कर लेना।" रूबी ने कहा तभी रूबी की नौकरानी नाश्ता ले आई। विकास ने जल्दी ही नाश्ता किया और रूबी से आज्ञा लेकर सीधा आफिस की तरफ चल दिया।

विकास को लगा अब उसकी गृहस्थी में जरूर कोई भूकम्प आने वाला है। वह सब कुछ बरदाश्त कर सकता था परन्तु सुनीता की जरों में अपने को गिरा हुआ नहीं देखना चाहता था। अचानक विकास के पैर का दबाव ऐसीलेटर पर बढ़ने लगा और बढ़ता ही गया। उसे कोई ध्यान नहीं था कि वह क्या कर रहा है। अचानक एक धमाका हुआ। विकास की गाड़ी एक पेड़ से टकराई साथ ही गाड़ी का अगला दरवाजा खुला और विकास एक झटके से बाहर जा गिरा और वह तुरन्त ही बेहोश हो गया।

विकास के आस पास भीड़ इकट्ठी होने लगी। विकास अभी बेहोश ही था। अस्पताल काफी दूर था और आस पास कोई ऐसा साधन नहीं था जिसमें विकास को अस्पताल ले जाया जाता तभी

लोगों ने देखा दूर से एक टैक्सी आ रही थी। टैक्सी को रोकने के लिये कई आदमी सड़क के बीच खड़े हो गये और टैक्सी, नजदीक आकर रुक गई।

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