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रहस्य-रोमांच >> घर का भेदी

घर का भेदी

सुरेन्द्र मोहन पाठक

प्रकाशक : रवि पाकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :280
मुखपृष्ठ : पेपर बैक
पुस्तक क्रमांक : 12544
आईएसबीएन :1234567890123

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अखबार वाला या ब्लैकमेलर?


"मिजाज में कैसी है, अर्जुन? तीखी या नर्म? खुश्क या मिलनसार?"
"नर्म । मिलनसार । खुशमिजाज। हर किसी से हंस के बात करती है।"
"इस माहौल में तो क्या हंसेगी, फिर भी जरा इधर बुला के ला।"

अर्जुन ने आदेश का पालन किया। मेड के साथ वो वापिस लौटा तो सुनील और रमाकान्त भीड़ से परे सरक गये।
मेड उनके करीब पहुंची तो उसने बेबाक निगाहों से उनकी तरफ देखा और फिर सुसंयत स्वर में बोली- “हल्लो। आई एम नीना मैनुअल।"
“मैं रमाकान्त ऑटो।" रमाकान्त जल्दी से बोला- “ये सुनील सेमी।"
"ऑटो?" --वो उलझनपूर्ण स्वर में बोली-“सेमी?"।
"मुख्तसर नाम हैं। सैमी यानी कि सैमीऑटोमेटिक । ऑटो यानी कि फुल ऑटोमेटिक । यानी कि मैं।" ...
“आप....आप क्या ऑटोमेटिक हैं?"
वही जो तुम मैनुअल हो।
... "अरे, मेरा नाम मैनुअल है। नीना मैनुअल।
"ओह! हम समझ थे कि काम मैनुअल है। मी"
"काम! कौन सा काम?"
"वही जो...."
रमाकान्त!'-सुनील तीखे स्वर में बोला। '

रमाकान्त खामोश हो गया लेकिन उसके चेहरे पर से धूर्त मुस्कुराहट न गयी।
"तो"-नीना बोली-“आप लोग भी जर्नलिस्ट हैं मिस्टर ..., बतरा की तरह?"
"हां"-सुनील बोला- और तुम्हारे साहब के दोस्त और खैरख्वाह भी।”
हमें रमाकान्त, बोला, “बतरा की मौत का सख्त, अफसोस है।" .
"तुम्हारे साहब के हमपेशा हैं"-सुनील बोला-"इसीलिये तुम से एकाध सवाल पूछना चाहते हैं।" 
"छुट्टी कौन से दिन करती हो?"--रमाकान्त बोला-“तफरीह के लिये क्या करती हो? मैन अल या ऑटोमेटिक, खास शौक क्या हैं? बेहतर नौकरी मिले तो करोगी...."
सुनील ने जोर से पांव की ठोकर रमाकान्त के टखने पर रसीद की।

रमाकान्त बिलबिलाता हुआ खामोश हो गया।
"तो"-सुनील फिर नीना की तरफ आकर्षित हुआ-“लाश पर सबसे पहले तुम्हारी निगाह पड़ी थी?"
“यस।"-वो बोली- “ओह, माई गॉड! वाट ए साइट! वाट ए हॉरीबल साइट!"
उसके शरीर से जोर से झुरझुरी ली।
"फिर?"
-सुनील ने पूछा। “मैं दौड़ी हुई ऊपर गयी।"
"सबसे पहले किसे खबर की?" .
"मैडम को।"
"वो कहां थीं?"
"अपने बैडरूम में।"
"क्या कर रही थीं वेडरूम में? बिस्तर के हवाले थीं। सो रही थीं या सोने की तैयारी कर रही थीं?"
"ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी बालों में ब्रश फिरा रही थीं?"
"अकेली थीं?"
"हां"
“और साहब के इन्तजार में अपनी सजधज को टोनअप कर रही थीं?" .
नीना का सिर इंकार में हिला।
"नहीं?",
“साहव का दूसरी मंजिल पर अलग बेडरूम है। वो रात को लेट आते हैं तो सीधे वहीं जाते हैं ताकि मैडम को डिस्टर्बेस न हो।"
“अलग बेडरूम है? तुम्हारा मतलब है मियां बीवी एक ही बेडरूम में नहीं सोते?"
"नहीं।"
“कब से ऐसा है?"

"कई महीने हो गये हैं।"
“वजह?" नीना ने अनभिज्ञता से कन्धे उचकाये।
"तुम्हारे खयाल से बतरा साहब को किसने शूट किया होगा?"

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