रहस्य-रोमांच >> घर का भेदी घर का भेदीसुरेन्द्र मोहन पाठक
|
|
अखबार वाला या ब्लैकमेलर?
"तुमने कभी ड्रग्स का नशा किया है?"
"जी नहीं।"
"क्यों नहीं? नौजवानों में तो आज कल ये बड़ी 'इन' चीज है। तभी तो मेरी बेटी
इसकी गिरफ्त में आयी।"
“जनाब, मैं स्वभाविक मौत मरने का तमन्नाई हूं। मैं मौत को करीब बुलाकर उसे
गले नहीं लगाना चाहता, न ही मैं दौड़ कर उसके गले लगना चाहता हूं। मेरा मिशन
अपने और मौत के बीच ज्यादा से ज्यादा फासला बनाये रखना है। ड्रग एडिक्ट बन कर
मैं वो फासला कम या खत्म नहीं करना चाहता। मैं मौत के फरिश्ते का काम आसान
नहीं करना चाहता।"
"वैरी वैल सैड। ये बात मेरी बेटी को समझाना।"
"मैं कोशिश करूंगा।"
"तुम बहुत काबिल और जहीन नौजवान मालूम होते हो। पहली निगाह में मैंने तुम्हें
बहुत कम कर के आंका था।"
“ये मेरी खुशकिस्मती है कि आपने मुझे किसी काबिल समझा वरना मैं तो नहीं समझता
कि मेरे में कोई खास खूबी है।"
"बातें बढ़िया करते हो।"
"और मुझे आता क्या है?"
"मेरी बेटी से शादी करोगे?"
“जी!"
"अब तो मैं अंग्रेजी में नहीं बोला भई, जो कि तुम ये पाखण्ड करो कि बात
तुम्हारी समझ में नहीं आयी।"
"जनाब, बात तो समझ में आयी लेकिन जो सुना, उस पर कानों ने विश्वास न किया।
क्या फरमाया था आपने?"
"मेरी बेटी से शादी करोगे?"
“यानी कि मैंने ठीक सुना था। जी नहीं।"
वो हकबकाया, उसने घूर कर सुनील की तरफ देखा। सुनील खामोश बैठा रहा। “कार
चलाना जानते हो?"-फिर वो बोला।
"जी हां।" -सुनील ने उत्तर दिया।
“कार है तुम्हारे पास?"
"जी नहीं।"
“कारों की बाबत जानते समझते हो?"
“जी हां।" “कैसे जानते समझते हो? जब कभी कार नसीब नहीं हुई ..
"मैं मुर्गी की तरह अंडा नहीं दे सकता लेकिन आमलेट के बारे में मुर्गी से
ज्यादा जानता हूं।"
.. हूं। अगर तुम्हें सैकेण्डहैण्ड मर्सिडीज और नयी मारुति में से एक की चायस
दी जायें तो किसे चुनोगे?"
“सैकेण्डहैण्ड मर्सिडीज को।”-सुनील बेहिचक बोला।
"क्यों?"
“क्योंकि वो मर्सिडीज है।"
"फिर भी मेरी बेटी से शादी करने से इन्कार कर रहे हो?"
"बीवी और कार के चुनाव पर एक ही नजरिया लागू नहीं होता, बन्दा नवाज़। हर चीज़
का अपना मुकाम होता है। कोई चीज नयी भी बेकार होती है, कोई सैकंड, थर्ड,
फोर्थ हैण्ड भी अच्छी होती है। गुलाब अपनी जगह है, गोभी अपनी जगह है। गुलाब
का अपना इस्तेमाल है, गोभी का अपना इस्तेमाल है। गुलाब की खुशबू गोभी से
बेहतर होती है तो इसका मतलब ये नहीं होता कि गुलाब की सब्जी भी बढ़िया
बनेगी।" ।
वो भौचक्का-सा सुनील का मुंह देखने लगा।
"सो देयर।"--सुनील मुस्कराता हुआ बोला।
"मैं तुम्हारी जून संवार दूंगा।"
"कौन किस की जून संवार सकता है, जनाब! कोई आदमजात किसी की जून संवार सकता
होता तो पहले आप अपनी बेटी की जून संवारते। नियति अटल है। इसीलिये मैं प्रेस
रिपोर्टर हूं, आपकी बेटी ड्रग एडिक्ट है और आप काटन-किंग हैं। इसीलिये मेरे
पास कार नहीं है, आपके पास वकार नहीं है और आपकी बेटी के पास भर्तार नहीं
है।"
तभी नौकर वापिस लौटा तो उस बद्-मजा वार्तालाप का - समापन हुआ।
“मेम साहव अपने कमरे में हैं।"-वो बोला-“लेकिन कहीं जाने की तैयारी में हैं।"
“जाओ, भई।" --चटवाल बोला--"जल्दी करो।"
सहमति में सिर हिलाता सुनील उठा। उसने मेज पर से अपनी घड़ी उठा कर उसमें टाइम
देखा और उसे वापिस कलाई पर बांधता हुआ बोला-"आपने मुझे पांच मिनट अलाट किये
थे। चार मिनट ऊपर हो गये। शुक्रिया।”
“जाती बार एक आखिरी बात और सुनते जाओ।"
“फरमाइये।"
|