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लघुपाराशरी सिद्धांत

एस जी खोत

प्रकाशक : मोतीलाल बनारसीदास पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :630
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 11250
आईएसबीएन :8120821351

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8. राहु का गोचर


8.1 जन्म सूर्य पर राहु का गोचर धन व भाग्य की वृद्धि कर जातक की उन्नति कराता है। जातक धन, मान व यश पाता है। भाग्य उसके अनुकूल होता है, किन्तु कभी पति-पत्नी में झगड़ा या अलगाव भी हुआ करता है। कारण, सूर्य आत्मा है उस पर राहु का गोचर आत्मा को ग्रहण लगाता है। ऐसा जातक कभी  लौकिक सुख लिप्सा में इतना अधिक उलझ जाता है कि वह पत्नी पर मिथ्या दोष लगाकर उससे झगड़ा करता है या अलग हो जाता है।

8.2 जन्म चंद्रमा पर राहु का गोचर नई जिम्मेदारियों के साथ लाभ भी देता है। जातक की सभी इच्छाएँ सहज पूरी हो जाती हैं।

8.3 जन्म मंगल पर राहु का गोचर देहबल पर आश्रित खेलकूद में रुचि देता है। जातक बाक्सिंग या कुश्ती में रुचि लेता है। देह बल और पराक्रम से उसे क्रीड़ा स्पर्धा में विजय व पुरस्कार राशि की प्राप्ति होती है। कभी इस ज़ातक में काम-सुख की प्रबल इच्छा होती है। रतिबल बढ़ता है। महिलाओं को संतुष्ट कर कोई जातक उनका धन व समर्थन भी पाता है। ऐसा जातक समय के अनुसार चलनेवाला अवसरवादी तथा व्यवहार कुशल होता है।

8.4 जन्म बुध पर राहु का गोचर वाणी व लेखन को अधिक व प्रभावी बनाता है। जातक निश्चय ही अधिक कल्पनाशील व रचनात्मक प्रकृति का हो जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में अच्छी उन्नति तथा सफलता मिलती हैं। उसे शिक्षा के क्षेत्र में विशेष ख्याति व गौरव प्राप्त होता है। जीवन में आशा, उत्साह व आत्मविश्वास की मात्रा बढ़ती है। बंधु-बांधवों से स्नेह व सहयोग मिलता है। यदि जन्म कुंडली में बुध अशुभ स्थान में हो तो जातक वर्तमान परिस्थितियों की आलोचना करता है। कभी अनजाने या अनचाहे रूप से भाषा का गलत प्रयोग लोगों को भड़काता है। कटु आलोचना के कारण जातक तिरस्कार भी पाता है।

8.5 जन्म गुरु पर राहु का गोचर सुख व भाग्य वृद्धि का संकेत देता है। धन लाभ बढ़ने से आर्थिक व सामाजिक स्तर उँचा होता है। कोई जातक वेदान्त या दर्शनशास्त्र में विशेष योग्यता के कारण पुरस्कृत होता है। निश्चय ही जन्म गुरु पर राहु का गोचर जीवन में धन वैभव और सुख बढ़ाता है। शोधकर्ताओं का मत है कि जातक थोड़ा स्वार्थी और अवसरवादी भी होता है। अपना हित वह सर्वोपरि रखता है। कभी खातों में हेराफेरी या षडयंत्र कर धन पाने की प्रवृत्ति भी हुआ करती है।

8.6 जन्म शुक्र पर राहु का गोचर जातक को भावुक, संवेदनशील बनाता है। उसे लौकिक सुख सामग्री बिना प्रयास के तथा बिन माँगे प्राप्त होती है। रोमांच व विवाह के मामले में वह निश्चय ही भाग्यशाली होता है। महिला मंडली में उसकी अच्छी साख होती है। ऐसा जातक सत्यनिष्ठ व अपने वचन को पक्का, उदारदाता तथा सच्चा मित्र होता है। पीड़ित शुक्र पर राहु का गोचर जातक को बलात्कारी व दुराचारी बनाता है। कार्य की सामाजिक गतिविधियों में वह धन और समय बर्बाद करता है।

8.7 जन्म शनि पर राहु का गोचर बहुधा छोटी-बड़ी अनेकों नई जिम्मेदारियाँ देता है। कभी अधिक परिश्रम करने से स्वास्थ्य बिगड़ता है। ऐसा जातक धन व यश पाता है। कभी कोई जातक बहुत अधिक रूढ़िवादी होने से नए विचार व नए मूल्य अपनाने में असमर्थ होता है। मित्रों का सहयोग न मिलने से वह बहुत एकाकी व अवसादयुक्त हो जाता है।

8.8 जन्म राहु पर राहु का गोचर बहुधा मितव्ययी बनाकर बचत करने की प्रवृत्ति देता है। नौकरी या आवास बदलने के लिए ये समय शुभ नहीं होता बल्कि प्रतिकूल होता है। जोखिमपूर्ण कार्य या ऐसा दायित्व जिसका निर्वाह कठिन हो जातक को अपयश व असफलता देता है। अपनी क्षमता व ऊर्जा का उपयोग लाभप्रद कार्यों के लिए करना उचित होगा। जातक को धैर्य व सतत प्रयास बनाए रखना चाहिए। उच्च अधिकारियों से बातचीत के अतिरिक्त सावधानी व सतर्कता के साथ सौम्यता व सहयोग भी आवश्यक है। कभी तनिक सी लापरवाही बनते काम बिगाड़ सकती है।

8.9 जन्मकेतु पर राहु का गोचर जातक को कठोर, निर्मम व हिंसा प्रिय बनाता है। जातक कुश्ती या बाक्सिंग में सफलता व सुख पाता है। कभी काम-लिप्सा दुराचार की प्रवृति देती है। इन्द्रिय-संयम व मन पर नियंत्रण आवश्यक हो जाता है। जातक थोड़ी सूझ-बूझ से काम करे तो मित्रों के सहयोग व समर्थन से उसे धन व यश मिलता है। ध्यान रहे, राहु के स्वभाव में मनमानी व अपनी उचित-अनुचित इच्छा पूरी करने की प्रवृति है। वह लौकिक सुख, वैभव में आसक्ति रखता है। इसके विपरीत केतु कभी विलंब या निराशा देकर जातक का मोह भंग करता है। केतु को विद्वानों ने मोक्ष तथा आत्मज्ञान का कारक माना है। केतु पर राहु का गोचर जातक के मन पर भारी दबाब बनाता है।

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    अनुक्रम

  1. अपनी बात
  2. अध्याय-1 : संज्ञा पाराशरी

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