वास्तु एवं ज्योतिष >> लघुपाराशरी सिद्धांत लघुपाराशरी सिद्धांतएस जी खोत
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6. शुक्र का गोचर
6.4 जन्मकालीन बुध पर शुक्र का गोचर आदर, मान व प्रशंसा दिलाता है। आर्थिक व सामाजिक स्तर ऊँचा उठता है। समाज में प्रतिष्ठा मिलती है। व्यक्तित्व में निखार आता है। वाणी अधिक आकर्षक व प्रभावशील होती है। कभी महिलाओं से स्नेह व मैत्री संबंध बढ़ने से जीवन अधिक सरस व सुखद हो जाता है। फिर मर्यादित आचरण अवाश्यक है। महिलओं का स्नेहपूर्ण सहयोग व समर्थन निश्चय ही धन, मान व सुख-संतोष देगा।
6.5 जन्म के गुरु पर शुक्र का गोचर नए व्यापार समझौते व परियोजनाओं में सफलता व धन लाभ देता है। कोई जातक सुन्दर व बहुमूल्य कलाकृतियों का संग्रह करता है। संगीत व साहित्य में रुचि व ज्ञान बढ़ने से सुयश मिलता है। सभी वर्ग के लोगों का सहयोग व समर्थन सहज प्राप्त होता है। कोई जातक नए रोमांस व प्रणय संबंध का सुख भी निश्चय ही पाता है। शुक्र लौकिक सुख-वैभव का कारक है तो गुरु दैवीय कृपा व भाग्य का प्रतिनिधि है। इस अवधि में पूर्व जन्म के पुण्य कर्म या गुरुजन के आशीर्वाद से सभी लौकिक
सुख सहज मिलते हैं।
6.6 जन्मकालीन शुक्र पर शुक्र का गोचर मित्र व सहयोगियों के सहयोग व समर्थन से धन लाभ व मान प्रतिष्ठा की वृद्धि करता है। कभी उपहार में या लाटरी लगने से बहुत धन मिलता है। किसी महिला से बने मैत्री संबंध विवाह का रूप लेते हैं। विवाह या रोमांस से धन व सुख की प्राप्ति होती है। देह अधिक पुष्ट व चेहरा आकर्षक बनता है। विवाह और वैवाहिक सुख तथा लौकिक सुखों के लिए यह समय निश्चय ही बहुत श्रेष्ठ है। ध्यान रहे, शुक्र वीर्य, काम शक्ति, रूप सौन्दर्य, पत्नी और विवाह कारक है। अतः शुक्र पर
शुक्र का गोचर यह सब तो देगा ही।
6.7 जन्म शनि पर शुक्र का गोचर जनता का स्नेह व समर्थन तथा सुयश देता है। जीवन में उन्नति करने के बेहतर अवसर मिलते हैं। कोई जातक एकाकी रहने या एकान्तवास में अधिक सुख व संतोष पाता है। दूसरों के लिए निःस्वार्थ भाव से किया गया परिश्रम धन और मान बढ़ाता है। कभी प्रियजनों को मोह छोड़कर दूर जाना या उनको वियोग भी आवश्यक हो जाता है। छोटीं -बड़ी यात्राएं लाभप्रद होती हैं। कभी भावना या वासना से अछूता सहज स्नेह संबंध जातक के जीवन को नई उँचाई देता है। बड़े व बुजुर्ग लोगों की साह व मार्ग दर्शन निश्चय ही प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेगा। कारण, शनि वयोवृद्ध व अनुभवी लोगों का प्रतिनिधि है तो शुक्र लौकिक सुख-वैभव देने वाला है। दोनों का योग, वयोवृद्ध लोगों की सलाह व सहयोग से लौकिक उन्नति देगा।
6.8 जन्म के राहु पर शक का गोचर समाज में मान-सम्मान व प्रतिष्ठा को बढ़ाता है। उसे सभी वर्गों का सहयोग व समर्थन मिलता है। अविवाहित जातक. मनवांछित पत्नी पाता है। उसकी पत्नी सुख-दुख की संगिनी, सत्यनिष्ठ, कर्तव्य-परायण व सुख बढ़ाने वाली होती है। अनेक विद्वानों ने प्रेम-विवाह के लिए इस गोचर को सर्वश्रेष्ठ माना है।
6.9 जन्म कुंडली के केतु पर शक़ का गोचर जातक को मित्र व बंधु-बांधर्वो से दूर रह कर एकान्त या अज्ञातवास की प्रवृति देता है। जातक एकान्त में बैठकर आध्यात्मिक साधना कर सुख व शांति पाता है। ऐसा जातक प्रणय संबंध में जल्दबाजी, काम लोलुपता से बचकर निष्ठा और प्रेम को महत्व देता। है। उसे समझदार, संतुलित विचार वाली तथा जीवन ऊँव के नीच समझने वाली महिला की तलाश रहती है। कभी कार्य क्षेत्र या व्यापार में मंदी का दौर आता है। अधिक पूंजी निवेश से भी वछित परिणाम नहीं मिल पाते। विद्वानों ने इस अवधि को विवाह के लिए प्रतिकूल माना है। ऐसा विवाह परिवार, कुटुम्ब तथा समाज में कटु आलोचना, तिरस्कार या बहिष्कार का विषय बन सकता है। कारण, केतु मोक्ष का कारक है तो शुक्र विवाह और लौकिक सुख सामग्री देने वाला है। बिना विवाह के मानसिक या आध्यात्मिक संबंध तो समाज स्वीकार करेगा किन्तु विवाह बंधन तो केतु की प्रकृति के प्रतिकूल से कहा
जाएगा।
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