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लघुपाराशरी सिद्धांत

एस जी खोत

प्रकाशक : मोतीलाल बनारसीदास पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :630
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 11250
आईएसबीएन :8120821351

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4. बुध का गोचर

4.1 जन्म सूर्य पर बुध का गोचर चिंतन और विचारों को अधिक स्पष्ट व पारदर्शी बनाता है। जातक रचनात्मक कार्यों में रुचि लेता है। वह परोपकार व जनहितकारी योजनाओं में बढ़-चढ़ कर योगदान करती है। कभी लेखन, पत्राचार द्वारा या संवाददाता के रूप में धन व सफलता मिलती है। कामकाज़ बढ़ने या पदोन्नति पाने से धन लाभ होता है। ध्यान रहे, विद्वानों ने बुद्धि, का देवता विष्णु को माना है तो सूर्य भी जगत की आत्मा है। इन दोनों का परस्पर संबंध सत्य, समानता, आस्तिकता व अध्यात्म के लिए निश्चय ही श्रेष्ठ होता है।

4.2 जन्म चंद्र पर बुध का गोचर मन में उथल-पुथल पैदा करता है। जातक व्यर्थ ही मोह, ममता, आसक्ति या वैर-विरोध की कल्पना कर सुख-दुख के चक्कर में उलझा रहता है। लेखन कार्य से सफलता मिलती है। दूसरों के साथ उठते बैठते समय थोड़ा संयम व सतर्कता आवश्यक है। कभी परिवार की ओर से चिंता होती है तो कोई जातक महिला मित्र का स्नेह व सहयोग पाता है। चंद्रमा मन है तो बुध बुद्धि, आस्तिकता व परस्पर मैत्री पूर्ण स्नेह संबंध का कारक है। अतः दोनों के योग को मित्रों के साथ पिकनिक, गोष्ठी व समागम का सुख देना चाहिए। किंतु बुध, चंद्रमा को शत्रु मानता है तो चंद्रमा बुध को मित्र मानता है, शायद ग्रहों का ये संबंध मन को अशांत व क्षुब्ध करता है।

4.3 जन्म के मंगल पर बुध का गोचर कुछ सही व साहसिक निर्णय लेने में सहायक होता है। कभी व्यर्थ के वाद विवाद या अनचाही टीका-टिप्पणी करने से बदनामी मिलती है। क्रोध व क्षोभ के क्षणों में लिखना या बोलना प्रतिकूल परिणाम देता है। धैर्य व संयम बनाए रखना नितान्त आवश्यक है।

4.4 जन्म के बुध पर बुध का गोचर गणित, तर्क निपुणता, ज्योतिष, व्यापार या लेखन के क्षेत्र में धन, मान व सफलता देता है। जातक नए प्रयोग, अनुसंधान या शोध कार्य से धन व यश पाता है। कोई जातक संपादक, लेखक संवाददाता या प्रकाशक के रूप में सफलता पाता है। परिवहन, पर्यटन प्रचार या संचार माध्यम से जुड़े व्यक्ति इस अवधि में धन, मान तथा सुख पाते हैं।

4.5 जन्म के गुरु पर बुध का गोचर पूंजी निवेश, शेयर बाजार तथा वाणिज्य व्यापार में सफलता व सुख देता है। बुद्धिपरक कार्य करने वाले जातक लेखक, वकील, अध्यापक, प्रबन्धक, धन व मान सम्मान पाते हैं। जातक की चिंतन शक्ति, विषय पर पकड़ तथा तर्क शक्ति बढ़ने से उसका प्रभाव व सम्मान बढ़ता है। शत्रु दबकर या छिपकर रहते हैं। धन-वैभव तथा पद-प्रतिष्ठा की वृद्धि होती है। बुध बुद्धि और विद्या है तो गुरु ज्ञान, दर्शन व अध्यात्म के साथ धन व यश देने वाला है। अतः गुरु पर बुध का गोचर प्रायः शुभ परिणाम देता है।

4.6 जन्म के शुक्र पर बुध का गोचर नृत्य, नाटक, गीत, संगीत, रूप सज्जा सामग्री कीमती कपड़े, आभूषण से लाभ व प्रतिष्ठा देता है। यदि जातक मॉडलिंग, इन्टीरियर डैकोरेशन (आन्तरिक सज्जा), स्वागत कक्ष, अभिनय, सिनेमा, वाहन उद्योग या कास्मेटिक्स से जुड़ा हो तो निश्चय ही इस अवधि में धन, मान, सफलता और प्रतिष्ठा पाता है। कभी साहित्य या पत्रकारिता के क्षेत्र में भी लाभ व यश मिलता है। कभी मन वांछित महिला/पुरुष मित्र से रोमांस का सुख भी मिलता है। धन, मान, सत्ता, सुख वैभव तथा वैवाहिक सुख शायद सभी कुछ जातक को सहज मिल जाता है।

4.7 जन्म के शनि पर बुध का गोचर किसी प्रियजन व निकट संबंधी का वियोग करा के दुःख देता है। विचार शक्ति कुंद पड़ जाती है। मनुष्य की सोच व समझ बहुत संकुचित हो जाती है तो वाणी में भी अज्ञानता, कर्कशता या अभद्रता का पुटआता है। ध्यान रहे, शनि कालपुरूष का दुःख तथा अर्थसंकट देने वाला या सांसारिक सुखों के प्रति मोह भंग करने वाला ग्रह है। इस समय बिना सोच-समझे कुछ भी करना भयावह हो सकता है। मतभेद या वैर-विरोध से यथा साध्य बचें। कम बोलें तथा वाणी पर पूर्ण नियंत्रण रखें। अन्यथा मानसिक असंतुलन के समय बोला गया शब्द या वाक्यांश आपके दुखों को बढ़ा सकती है।

4.8 जन्म राहु पर बुध का गोचर मानसिक शक्ति में चमत्कारिक वृद्धि करता है। जातक की अन्तर्पज्ञा व पूर्वाभास की शक्ति बढ़ने से नई आशा, उत्साह व आत्मविश्वास के साथ जातक अपना जीवन जीता है। विपरीत परिस्थतियों को अनुकूल करने की जातक में अद्भुत क्षमता होती है। उसे भाई बहन से वांछित सख व सहयोग मिलता है। कभी तो ऐसा गोचर जीवन को नयी दिशा प्रदान करता है।

4.9 जन्म केतु पर बुध का गोचर अनावश्यक बोझ व तनाव देता है। बेहतर होगा कि नई योजना बनाते समय अनावश्यक वार्ता व वाद-विवाद से बचा जाए। दूसरों से वैर-विरोध करने या झगड़ी मोल लेने का यह समय नही है। कभी अपने हस्ताक्षर या अपनी ही लिखावट से जातक फंस जाता है। दूसरों की जमानत बड़ी सूझ-बूझ से दें। संभव हो तो इसे टालने का प्रयास करें। इस अवधि में सतर्कता व सावधानी से आगे बढ़े। इस गोचर की अवधि में संभव है व्यर्थ की निरुद्देश्य यात्राएँ करनी पड़ें। इसके लिए पहले से तैयार रहें।

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    अनुक्रम

  1. अपनी बात
  2. अध्याय-1 : संज्ञा पाराशरी

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