वास्तु एवं ज्योतिष >> लघुपाराशरी सिद्धांत लघुपाराशरी सिद्धांतएस जी खोत
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1. सूर्य का गोचर
1.1 जन्मकालीन सूर्य पर गोचर-सूर्य का आगमन नववर्ष का आरंभ दर्शाता है। नयी आशा, उत्साह व उमंग का शुभ संदेश देता है। प्रयत्न व प्रयासों में सफलता मिलती है। बाधाएँ दूर होती हैं। तो कभी नए रोजगार की संभावना बढ़ती है। नई आशा व विश्वास ऊर्जा बढ़ाकर सफलता के अवसर बढ़ाते हैं।
1.2 जन्मकालीन चंद्रमा पर सूर्य का गोचर शुभ परिवर्तन व प्रगति का परिचायक है। बहुधां महिलाओं के सहयोग से परिस्थितियाँ बदलती हैं। धन व सुख की प्राप्ति होती है। कुछ विद्वानों ने महिला जातकों के लिए इसे लाभप्रद नहीं माना है।
1.3 जन्मकालीन मंगल पर सूर्य का गोचर कभी आत्मविश्वास बढ़ाकर स्वभाव में लापरवाही देता है जिससे असफलता मिलती है। निश्चय बल, दक्षता व क्षमता की वृद्धि होती है। जोखिम उठाने की क्षमता भी निश्चय ही बढ़ती है। कभी अपव्यय की संभावना होती है। नए काम व योजनाओं को शुरू करना बेहतर होगा। भावुकता या आंतरिक विरोध अथवा परस्पर कलह अनिष्टप्रद है। कभी
अग्निकांड या किसी उपकरण से हानि या चोट का भय होता है।
1.4 जन्मकालीन बुध पर सूर्य का गोचर लिखाई-पढ़ाई या भ्रमण (पर्यटन) से लाभ देता है। नया काम जमने लगता है। आजीविका क्षेत्र में उन्नति होती है। कभी बातचीत या पत्राचार में व्यवहार कुशलता दिखाने पर श्रेष्ठ सफलता मिलती है। भविष्य की योजनाएँ बनाने के लिए यह उत्तम समय है। वकील, सलाहकार, साहित्य, पत्रकारिता, परिवहन, पर्यटन या शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोग धन लाभ सफलता व यश पाते हैं।
1.5 जन्मकालीन गुरु पर सूर्य का गोचर भाग्य व धन की वृद्धि, मान सम्मान व सफलता देता है। सभी योजनाएं पूर्णता की ओर बढ़ती हैं। वरिष्ठ अधिकारियों का स्नेहपूर्ण सहयोग व गुरुजन का आशीर्वाद, उन्नति, धन-लाभ व सुयश देता है।
1.6 जन्मकालीन शुक्र पर सूर्य का गोचर पति-पत्नी में प्रेम बढ़ाकर दांपत्य सुख की वृद्धि करता है। कभी नए संबंध बनने या विवाह होने की संभावना बढ़ती है। धन, मान व सुख की वृद्धि होती है। कारण, शुक्र लौकिक सुख वैभव का दाता है तो सूर्य आत्मा है। धन का दुरुपयोग और रतिलोलुपता पर नियंत्रण रखें।
1.7 जन्मकालीन शनि पर सूर्य का गोचर प्रायः विघ्न-बाधा व परेशानी देता है। कभी स्वास्थ्य बिगड़ता है तो कभी कार्य क्षेत्र में अपयश मिलता है। सरकार की ओर से भी दंड या प्रताड़ना की संभावना बढ़ती है। ध्यान रहे, शनि प्रबल वैरागी व सूर्य का शत्रु है। अतः धैर्य रखें, संयम व सदाचार का पालन करें। लोभ और मोहवश किया गया कपट अनिष्टप्रद (बंधन कारी) हो सकता है।
1.8 जन्मकालीन राहु पर सूर्य के गोचर को अनेक विद्वानों ने शुभ व भाग्यशाली माना है। इस अवधि में सुख, शांति व सफलता मिलती है। समाज में सम्मान व सुयश की वृद्धि होती है। कभी अनार्जित धन की प्राप्ति भी होती है। जन्मकालीन केतु का गोचर सूर्य से समसप्तक होना पत्नी से मतभेद यो अलगाव देता है। कभी मारक प्रभाव बढ़ने से स्वास्थ्य हानि या मृत्यु भय भी हुआ करता है।
1.9 जन्मकालीन केतु पर सूर्य का गोचर, पत्नी के अस्वस्थ होने के कारण घर के काम का बोझ व अन्य जिम्मेदारियाँ बढ़ाता है। मन में चिन्ता व उद्विग्नता बढ़ती है। राजकर्मचारियों से शत्रुता या व्यर्थ का वैर-विरोध कभी भयावह परिणाम देता है। बड़ी मुसीबत से बचने के लिए उच्च अधिकारियों को संतुष्ट करना आवश्यक है।
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