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वास्तु एवं ज्योतिष >> लघुपाराशरी सिद्धांत

लघुपाराशरी सिद्धांत

एस जी खोत

प्रकाशक : मोतीलाल बनारसीदास पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :630
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 11250
आईएसबीएन :8120821351

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दशम भाव पर गोचर में ग्रहों का प्रभाव


10.1 जन्म लग्न से दशम भाव पर सूर्य का गोचर बल व कौशल बढ़ाता है। जातक सभी कार्यों में सफलता पाता है। वह वरिष्ठ अधिकारियों का स्नेह भाजन एवं कृपापात्र होता है। उसे धन, मान व यश मिलता है।

10.2 चंद्रमा का दशम भाव पर गोचर अपने वर्ग में नेता बनाता है। जातक व्यवहार कुशल होने से सभी कार्यों में सहयोग व लाभ पाता है। प्रायः सभी बाधाएं व समस्याएँ मिट जाती हैं। यदि जल्दबाजी व उतावलेपन से बचे तो उत्कृष्ट प्रबंध कौशल से सफलता व समृद्धि मिलती है।

10.3 मंगल का दशम भाव पर गोचर परिश्रम व कर्मठतो माँगता है। काम के प्रति उदासीनता, दुविधा या लापरवाही अनिष्टप्रद हो सकती है। मनोयोगपूर्वक किया गया प्रयास लाभ वा सफलता देता है। भावुकता वश बिना विचारे कुछ भी करना हानि देगा। साहस, परिश्रम व सत्यनिष्ठा (ईमानदारी से किया गया कार्य आत्मविश्वास बढ़ाएगा तथा समाज में सुयश और सम्मान भी देगा।

10.4बुध का दशम भाव पर गोचर सौदा पटाने में दक्षता देता है। व्यवहार कुशलता तथा मैत्रीपूर्ण व्यवहार कार्यक्षेत्र में लाभ, उन्नति व सुयश देता है। कभी जातक के कार्यों की सराहना होती है तथा उसे सम्मान या प्रशस्ति पत्र मिलता है। असावधानीवश गुप्त भेद खुलने की आशंका होती है।

10.5 गुरु का दशम भाव पर गोचर धर्म, अध्यात्म, आस्था व श्रद्धा को पुष्ट कर कार्यक्षेत्र में सफलता देता है। आजीविका क्षेत्र में प्रगति या पदोन्नति होती है। परिश्रम व कार्यक्षमता की सराहना होती है। वरिष्ठ अधिकारियों के सहयोग से कठिन व दुष्कर कार्य सफल होते हैं तथा लाभ व सुयश की प्राप्ति होती है।

10.6 शुक्र का दशमभाव पर गोचर सुख, वैभव तथा आमोद-प्रमोद की वृद्धि करता है। कोई जातक रूपसियों का प्रेमभाजन बन श्रेष्ठ कामसुख पाता है। विवाह और वैवाहिक सुख की संभावनाएँ बढ़ती हैं। कार्यक्षेत्र में उन्नति, सफलता व यश की प्राप्ति होती है। नए मित्र बनते हैं उनके साथ सैर सपाटा व पर्यटन का सुख मिलता है। धन, वैभव, सुख समृद्धि के लिए निश्चय ही यह समय श्रेष्ठ होता है। जातक अनायास ही लोकप्रिय व सभी का स्नेहभाजन हो जाता है।

10.7 शनि का दशम भाव पर गोचर नए काम व नए दायित्व देता है। निष्ठापूर्वक किया गया सतत प्रयास लक्ष्यसिद्धि, सफलता व सुयश देता है। स्वास्थ्य की अनदेखी करना अनुचित है। वातावरण के अनुसार स्वयं को ढालना तथा कर्तव्यनिष्ठ सेवक की भांति स्वामी का हित साधन करना निश्चय ही धनमान व यश देता है। काम में लीपापोती या शार्टकट को अनुचित व अनिष्ट प्रद जानें।

टिप्पणी : राहु शनि सरीखा तो केतु का गोचर मंगल जैसा फल दिया करता है।

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    अनुक्रम

  1. अपनी बात
  2. अध्याय-1 : संज्ञा पाराशरी

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