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वास्तु एवं ज्योतिष >> लघुपाराशरी सिद्धांत

लघुपाराशरी सिद्धांत

एस जी खोत

प्रकाशक : मोतीलाल बनारसीदास पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :630
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 11250
आईएसबीएन :8120821351

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परिशिष्ट - 2

भाव और कारक

लग्न द्वितीय भाव (धन भाव)

(Lagna) (Second House)
आयु, शक्ति = सूर्य धन, संपदा = गुरू
रंग रूप, देह = चंद्रमा वाणी = बुध, गुरू
यश, प्रसिद्धि = सूर्य, चंद्रमा कुटुंब सुख = शुक्र
स्वास्थ्य = सूर्य ज्योतिष (भविष्यवाणी) = बुध, गुरू (चतुर्थ भाव)
आयु, शक्ति = (1,10 वाँ भाव) सूर्य  आरंभिक शिक्षा = बुध, गुरु दाहिना नेत्र = सूर्य
शैशव = चंद्रमा चेहरा = शुक्र, चंद्रमा
धन (रईसी) = शुक्र फैशन = शुक्र (वृष, तुला) भोजन = चंद्रमा
दाँत = राहु

तृतीय भाव    

साहस, पराक्रम, अनुज = मंगल आलस्य, कंजूसी, आयु = शनि
कर्णरोग, वधिरता = गुरू (3,11वाँ भाव)
श्वसुर = गुरु
श्रवण शक्ति = गुरु (3, 11वाँ भाव)
रोग = (3, 6ठा भाव) शनि
हिंसा = मंगल
छोटी बहन = बुध

चतुर्थ भाव

मन, माता, सुख = चंद्रमा
विद्या, बुद्धि = बुध 
वाहन, वैभव = शुक्र, गुरु
कृषि, भू संपदा = मंगल
हृदय = सूर्य (सिंह) 
सबंधी = बुध
मकान बनना = शुक्र
भूमि = शनि
शिक्षा (4, 5, 11वाँ भाव) = बुध
कानूनी शिक्षा = गुरु
जनता = चंद्रमा, शनि

पंचम भाव

संतान, शिक्षा, ज्ञान- गुरु
बुद्धि, चातुर्य, कुशलता -बुध
वंध्यापन = सूर्य
प्रतियोगिता -बुध
मन, मस्तिष्क -सूर्य
बुद्धिमत्ता-बुध
पूंजी निवेश-गुरु
धर्म आस्था उपासना -गुरु

 

षष्ठ भाव

शत्रु -मंगल
रोग-शनि
मामा-बुध
चिंता, परेशानी (3, 6 भाव)-शनि
भतीजा, स्नायु -बुध
सेवा, नौकरी (समाजसेवा) व बुध
स्टैनो टाइपिस्ट -बुध
सौतेली माता-बुध
पाप कर्म-बुध

सप्तम भाव

पति -गुरु
नपुंसकता-शनि, बुध
काम, शक्ति-मंगल, शुक्र
पत्नी, प्रेयसी-शुक्र

 

अष्टम भाव

दुर्घटना-राष्ट्र मंगल
मृत्यु-शनि (2, 3,7, प्तवें भाव से)
सरकार की आय- (8, 11वां भाव) गुरु
आयुष्य- (1, 8वां भाव) शनि
रति क्रिया-मंगल
पाप-मंगल

 

नवम भाव

राज कृपा-सूर्य
आचार्य, धर्म, तीर्थाटन -गुरु
पिता-सूर्य
पिता की संपदा -सूर्य
पद, प्रतिष्ठा, अधिकार-(1, 1०) सूर्य
पुत्र (5,9)-गुरु

दशम भाव

दत्तक पुत्र-बुध (7, 10वां भाव)
दान, परोपकार-बुध, गुरु
लेखा-बुध (बुद्ध की राशियां मिथुन कन्या)
प्रशासन-सूर्य
अभिनय-शुक्र, वरुण (तुला)
विज्ञापन-शुक्र (मिथुन, मीन)
चार्टर्ड एकाउन्टैन्ट-सूर्य (कन्या)
पद, प्रतिष्ठा-सूर्य
भाग्य-गुरु
आजीविका-शनि
तंत्र विद्या-बुद्ध, गुरु, शुक्र, अरुण यूटे (धनु)

एकादश भाव

बड़ा भाई = गुरु
लाभ, आय = गुरु
मित्र = गुरु
केश = शुक्र

द्वादश भाव

दान पुण्य = गुरु
बंधन = मंगल
बायीं आँख = चंद्रमा
ज्ञान, मोक्ष = गुरु
विदेश वास = राहु
लौकिक सुख, वैभव = शुक्र
मोक्ष = केतु
निद्रा = शुक्र
दुख, शोक = शनि

 

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    अनुक्रम

  1. अपनी बात
  2. अध्याय-1 : संज्ञा पाराशरी

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