लोगों की राय

वास्तु एवं ज्योतिष >> लघुपाराशरी सिद्धांत

लघुपाराशरी सिद्धांत

एस जी खोत

प्रकाशक : मोतीलाल बनारसीदास पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :630
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 11250
आईएसबीएन :8120821351

Like this Hindi book 0

5.19 मारक दशा


सत्यपि स्वेन सम्बन्धे न हन्ति शुभ भुक्तिषु
हन्ति सत्यप्य सम्बन्धे मारकः पापभुक्तिषु ।।39।।

मारक ग्रह की महादशा में सम्बन्ध करने वाले शुभ ग्रह की अन्तर्दशा कभी मृत्यु नहीं देती। इसके विपरीत, सम्बन्ध न करने वाले पाप ग्रह की अन्तर्दशा मृत्यु दे सकती है।
मारक ग्रह की महादशा में विभिन्न ग्रहों की अन्तर्दशा :

सम्बन्ध करने वाले ग्रह

योगकारक ग्रह = मृत्यु नहीं, अशुभ फल में कमी
शुभ ग्रह = मृत्यु नहीं, पाप फल में कमी
सम ग्रह = कष्ट क्लेश किन्तु मृत्यु नहीं
पाप ग्रह = मृत्यु की प्रबल सम्भावना

दशानाथ से सम्बन्ध न करने वाले ग्रह

योगकारक ग्रह = सामान्य अशुभ, मृत्यु नहीं
शुभ ग्रह = मृत्यु नहीं, सामान्य पाप फल
सम ग्रह= रोग, सन्ताप, दुःख परन्तु मृत्यु नहीं
पाप ग्रह = कभी मृत्यु भी हो सकती है।

अन्य विद्वान इसे निम्न प्रकार कहते हैं।

दशानाथ - भुक्तिनाथ-स्थिति          -फल
मारक-योगकारक-सम्बन्धी या असम्बन्धी -शुभ फल
मारक-शुभ -सम्बन्धी या असम्बन्धी-सामान्य किन्तु मरणप्रंद नहीं
मारक -सम-सम्बन्धी या असम्बन्धी-स्वल्प पाप या अशुभ फल
मारक -पाप-सम्बन्धी या असम्बन्धी अति-अशुभ फल
मारक मारक मरणप्रद*।

(*) यदि मृत्यु का समय नहीं आया तो मात्र कष्ट-क्लेश व दुःख-सन्ताप से ही मृत्यु योग टल जाएगा।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. अपनी बात
  2. अध्याय-1 : संज्ञा पाराशरी

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book