लोगों की राय

गीता प्रेस, गोरखपुर >> आध्यात्मिक प्रवचन

आध्यात्मिक प्रवचन

जयदयाल गोयन्दका

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :156
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1007
आईएसबीएन :81-293-0838-x

Like this Hindi book 8 पाठकों को प्रिय

443 पाठक हैं

इस पुस्तिका में संग्रहीत स्वामीजी महाराज के प्रवचन आध्यात्म,भक्ति एवं सेवा-मार्ग के लिए दशा-निर्देशन और पाथेय का काम करेंगे।


४४. गजल गीताका पाठ रात्रिमें सोते चाहिये।
45. प्रेमभिक्ताकाश निय प्रासै सोच-समझकर पढ़ना चाहिये।
46. मुझे गीता और धार्मिक ग्रन्थों का प्रचार सबसे ज्यादा प्रिय है।
47. लेख लिखकर छोड़ जाने से संसार कै बहुत हित है। जैसे ऋषि-मनियों की कृति।
48. श्रीगीताजी का प्रचार सत्संग छोड़कर भी करना उत्तम है।
49. नित्य सत्संग करनेवाले की अन्तकालतक मुक्ति में शंका नहीं है, यदि कोई नित्य सत्संग करनेके लिये आज ही नियम लेता है और वह यदि आज ही रात्रिमें मर गया तो भी उसका उद्धार हो जायगा।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. सत्संग की अमूल्य बातें

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book