लोगों की राय

गीता प्रेस, गोरखपुर >> आध्यात्मिक प्रवचन

आध्यात्मिक प्रवचन

जयदयाल गोयन्दका

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :156
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1007
आईएसबीएन :81-293-0838-x

Like this Hindi book 8 पाठकों को प्रिय

443 पाठक हैं

इस पुस्तिका में संग्रहीत स्वामीजी महाराज के प्रवचन आध्यात्म,भक्ति एवं सेवा-मार्ग के लिए दशा-निर्देशन और पाथेय का काम करेंगे।


(३) सत्संग-भगवद्रतोंका संग, यदि उनका संग न मिले तो उनके भक्तोंका संग भी बहुत लाभदायक है। (४) एकान्त साधन-एकान्तमें परमेश्वरके ध्यान करनेकी चेष्टा, यदि ध्यान न लगे तो ध्यान लगानेके लिये श्रीगीताजीके ध्यानविषयक श्लोकोंके अर्थका विचार।
(५) व्यवहार कालका साधन—परमेश्वरके स्वरूपका चिन्तन करता हुआ चलते-फिरते सब समय परमेश्वरके नामके जपका अभ्यास।
(६) साधनमें हेतु-भगवान्के सिवाय और किसी चीजकी भी इच्छा नहीं करनी। केवल भगवान्के मिलनेकी उत्कट इच्छा।
(७) भगवदर्थ कर्म—जिस काममें भगवान् प्रसन्न हो, उस कामको करनेकी चेष्टा यानि हिंसा वर्जित सदाचार।
(८) सब जीवोंकी सेवा-निष्कामभावसे सब जीवोंकी सेवा यानी जिस प्रकारसे मनुष्योंको तथा सब जीवोंको सुख पहुँचे वैसी चेष्टा। इन सब बातोंको काममें लानेसे भगवान्में बहुत ही जल्दी प्रेम हो सकता है। इनमेंसे एक भी बात काममें लाये तो परमात्मा मिल सकते हैं। इन बातोंमें एक-से-एक अधिक लाभदायक है यानी ८ नम्बरसे ७ नम्बरवाली अधिक लाभदायक है और ७ से ६ वाली। इसी प्रकार क्रमसे समझना चाहिये।
८६. स्त्रियोंकी विद्या सिखानी चाहिये। घरमें खर्च लगे उसको बराबर व्योरेवार लिख ले तो बहुत लाभ है तथा रोकड़ जोड़नी इत्यादि सिखानी चाहिये। स्त्रियोंको कुछ पता नहीं रहता इसलिये पतिके मरनेके बाद उनका घर-का-घर बरबाद हो जाता है।
८७. गीताजीका अर्थसहित पाठ करनेसे बहुत लाभ है, यदि
अन्तकालमें याद रह जाय तो उद्धार हो जाय।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. सत्संग की अमूल्य बातें

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book