गीता प्रेस, गोरखपुर >> आध्यात्मिक प्रवचन आध्यात्मिक प्रवचनजयदयाल गोयन्दका
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इस पुस्तिका में संग्रहीत स्वामीजी महाराज के प्रवचन आध्यात्म,भक्ति एवं सेवा-मार्ग के लिए दशा-निर्देशन और पाथेय का काम करेंगे।
७८ सत्संग-सत्पुरुषके द्वारा जितने समयतक भगवद्विषयक वार्ता सुनी जाय, उसीका
नाम साधारण पुरुषोंके लिये सत्संग है, परन्तु परम श्रद्धालु पुरुषोंके लिये
उन सत्पुरुषोंके दर्शन, भाषण, स्पर्श, चिन्तनसे भी सत्संग बनता रहता है,
क्योंकि उनको पद-पदपर शिक्षा मिलती रहती है।
७९. सद्रविद्या-जिस विद्याके द्वारा परमात्मामें प्रेम हो, उसीका नाम
सदविद्या है।
८०. सत्शास्त्र-जिन शास्त्रोंके द्वारा संसारसे वैराग्य और परमेश्वरमें प्रेम
हो, उन्हींका नाम सत्शास्त्र है। ८१. परमसेवा-जिन आचरणोंके द्वारा जीवोंको
परमसुख मिले, वही परमसेवा है।
८२. योगदर्शनके अनुसार साधन करनेमें एक-दो घंटा रोज लगाना चाहिये, जैसे लोग
नये कामको सीखनेमें लगाते हैं।
८३. जिनके घरमें नित्य कथा-सत्संग होती है, उनके भाग्यकी बड़ाई कोई भी नहीं
कर सकता।
८४. भगवान्का काम करे और उसका भार उनपर ही छोड़ दे।
८५. हरि-चरणोंमें प्रेम होनेके लिये ८ बातें सार हैं-
(१) भगवान्की शरण-जो कुछ सुख-दु:खादि आकर प्राप्त हो उनको भगवान्की आज्ञासे
प्राप्त हुए भानकर आनन्दके सहित स्वीकार करना।
(२) जीवोंकी परमसेवा-सबको भगवान्की भक्तिमें लगानेकी कोशिश करना।
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- सत्संग की अमूल्य बातें