लेखक:
वृंदावनलाल वर्मा
जन्म : 9 जनवरी 1889, मऊरानीपुर, झाँसी (उत्तर प्रदेश)
मृत्यु : 23 फ़रवरी, 1969 विधाएँ : नाटक, कहानी, निबंध, उपन्यास मूर्द्धन्य उपन्यासकार श्री वृंदावनलाल वर्मा का जन्म 9 जनवरी, 1889 को मऊरानीपुर (झाँसी) में एक कुलीन श्रीवास्तव कायस्थ परिवार में हुआ था। इतिहास के प्रति वर्माजी की रुचि बाल्यकाल से ही थी। अतः उन्होंने कानून की उच्च शिक्षा के साथ-साथ इतिहास, राजनीति, दर्शन, मनोविज्ञान, संगीत, मूर्तिकला तथा वास्तुकला का गहन अध्ययन किया। ऐतिहासिक उपन्यासों के कारण वर्माजी को सर्वाधिक ख्याति प्राप्त हुई। उन्होंने अपने उपन्यासों में इस तथ्य को झुठला दिया कि ‘ऐतिहासिक उपन्यास में या तो इतिहास मर जाता है या उपन्यास’, बल्कि उन्होंने इतिहास और उपन्यास दोनों को एक नई दृष्टि प्रदान की। आपकी साहित्य सेवा के लिए भारत सरकार ने आपको ‘पद्म भूषण’ की उपाधि से विभूषित किया, आगरा विश्वविद्यालय में डी.लिट्. की मानद उपाधि प्रदान की। उन्हें ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया तथा ‘झाँसी की रानी’ पर भारत सरकार ने दो हजार रुपए का पुरस्कार प्रदान किया। इनके अतिरिक्त उनकी विभिन्न कृतियों के लिए विभिन्न संस्थाओं ने भी उन्हें सम्मानित व पुरस्कृत किया। वर्माजी के अधिकांश उपन्यासों का प्रमुख प्रांतीय भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेजी, रूसी, तथा चैक भाषाओं में भी अनुवाद हुआ है। आपके उपन्यास ‘झाँसी की रानी’ तथा ‘मृगनयनी’ का फिल्मांकन भी हो चुका है। कृतियाँ :- उपन्यास :- मृगनयनी (1950 ई.), टूटे काँटे (1945 ई.), झाँसी की रानी (1946 ई.), गढ़ कुंडार (1930 ई.), महारानी दुर्गावती, अमरबेल (1953 ई.), कचनार (1947 ई.), माधवजी सिंधिया (1950 ई.), अचल मेरा कोई (1948 ई.), सोना (1952 ई.), मुसाहिबजू (1946 ई.), रामगढ़ की रानी (1950 ई.), सोती आग, डूबता शंखनाद, लगन, कुंडलीचक्र (1932 ई.), भुवनविक्रम (1957 ई.), ललितादित्य, अहिल्याबाई, उदय किरण, देवगढ़ की मुस्कान, कभी न कभी (1945 ई.), संगम (1928 ई.), प्रेम की भेट (1928 ई.), प्रत्यागत (1927 ई.), अमर-ज्योति, कीचड़ और कमल, आहत। कहानी संग्रह :- दबे पाँव, शरणागत तथा अन्य कहानियाँ :- (शरणागत, हमीदा, तोषी, राखी, मालिश ! मालिश !!, मुँह न दिखलाना !, तिरंगेवाली राखी, झकोला चारपाई, मेढकी का ब्याह, गम खाता हूँ, इधर से उधर, कागज की हीरा, पूरन भगत, राजनीति या राजनियत, सरकारी कलम-दवात नहीं मिलेगी, चोर बाजार की गंगोत्री, राजनीति की परिभाषा, पत्नी-पूजन यज्ञ, अँगूठी का दान, रक्तदान, उन फूलों को कुचला, तब और अब, थानेदार की खानातलाशी, धरती माता तोकों सुमिरौं, वैरी का नेह, बम फटाका, चुनाव ने बलिदान को चाट लिया, तपस्या के लिए वरदान, इंद्र का अचूक हथियार, यह या वह !, पत्र में समाचार, पति को बचाया, कलाकार का दंड, उसने गाँव को जलने से बचाया, लड़की ने बूढ़े के प्राण बचाए, बारह बरस के लड़के ने डाकुओं का सामना किया, लड़के ने रेल दुर्घटना बचाई, लक्ष्मीकांत का संयम, सरोज की दृढ़ता, रम्मू का अनुशासन, मैं क्या भिखारी हूँ ?, नौकरी से यह बढ़कर है, आज्ञा-पालन, वचन का निर्वाह, कठिनाइयों का सामना करो, भय के भूत को साहस ने भगाया, लाड़कुँवरि की बहादुरी, महज एक मामूली सवार, पल्ली ने उद्धार किया, शकुंतला और बूढ़ा भिखारी, उस लड़के को किसने बचाया ?, मुन्ना इंजीनियर बन गया, अहसान का बदला, घर का वैरी।) वीर का बलिदान :- (वीर का बलिदान, अंबरपुर के अमर वीर, घायल सिपाही, लांसनायक राघवन, विजय चिह्न, ऐसे हैं हमारे फौजी जवान, हवलदार सरूपसिंह, गुप्त सभा, नाना साहब और कानपुर की वह दुर्घटना, वैल्लूर का विद्रोह (सन् 1806), अलीवर्दी खाँ की वसीयत, वह अमर मुस्कान, रसोइया तक ऐसा विकट सिपाही, अंत में पिघल गया, केवलसिंह, सुखी रहो मेरी रानी, ले. कर्नल नीरोद बरन बनर्जी, सूबेदार चेविंग रिंचन, लक्ष्मण गुरंग, सिपाही नामदेव जादो (यादव), परम वीर दित्तूराम, कमलराम गूजर, नायक यशवंतराव घाडगे, प्रकशसिंह हवलदार, लेफ्टिनेंट प्रेमेंद्र सिंह भगत, सूबेदार जोगिंदरसिंह, सूबेदार रिछपाल राम, सिपाही ईश्वरसिंह, नायक शाहमद खाँ, कुलवीर थापा, रामगढ़ की रानी अवंतीबाई, इब्नकरीम, कायदे की बात, देशद्रोही का मुँह काला, कटा-फटा झंडा, बदले के साथ ही इंग्लैंड का भला, ऋण साफ : और ईमान नहीं टूटा, वे दिन लद गए मेम सा’ब !, इतना सब कहाँ से आया ?, हार या प्रहार, मेरा अपराध, सिख सरदार मन्यारसिंह, शहीद इब्राहीम खाँ गार्दी, उस प्रेम का पुरस्कार, तेरह तारीख और शुक्रवार का दिन, दोनों हाथ लड्डू, दीर्घजीवी कैसे हों ? स्वर्ग से चिट्ठी, गवैये की सूबेदारी, टूटी सुराही, सिद्धराज जयसिंह का न्याय, अपनी बीती।) नाटक :- ललितविक्रम, देखा-देखी, मंगलसूत्र, खिलौने की खोज, राखी की लाज, बीरबल, जहाँदारशाह, हंस-मयूर, सगुन, पीले हाथ, बाँस की फाँस, नीलकंठ, पूर्व की ओर, फूलों की बोली आत्मकथा :- अपनी कहानी। |
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ललितविक्रमवृंदावनलाल वर्मा
मूल्य: $ 12.95 प्रस्तुत है उत्कृष्ट नाटक.... आगे... |
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विराटा की पद्मिनीवृंदावनलाल वर्मा
मूल्य: $ 18.95 वृंदावनलाल वर्मा का एक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक उपन्यास... आगे... |
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वीर का बलिदानवृंदावनलाल वर्मा
मूल्य: $ 12.95 1857 के संग्राम में शत्रु सैनिकों के समक्ष भारतीय सैनिकों द्वारा दिखाए गए प्रचंड पराक्रम की कहानी आगे... |
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शरणागत तथा अन्य कहानियाँवृंदावनलाल वर्मा
मूल्य: $ 18.95 कहानी संग्रह... आगे... |
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संगम, प्रेम की भेंटवृंदावनलाल वर्मा
मूल्य: $ 18.95 प्रस्तुत है श्रेष्ठ उपन्यास आगे... |
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सोती आग, डूबता शंखनादवृंदावनलाल वर्मा
मूल्य: $ 15.95 सन् 1730 के आसपास दिल्ली की घटनाओं पर आधारित उपन्यास... आगे... |
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सोनावृंदावनलाल वर्मा
मूल्य: $ 15.95 बुंदेलखण्ड की लोककथाओं पर आधारित उपन्यास.... आगे... |
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हंस मयूरवृंदावनलाल वर्मा
मूल्य: $ 11.95 ‘पीले हाथ’ तथा ‘सगुन’ नामक दो सामाजिक नाटक... आगे... |