लेखक:
प्रो. मनु
जन्म : 1964, केरल राज्य के कण्णुर ज़िला के तलश्शेरी के एरज्ञोली गाँव में। शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), एम.ए. (अंग्रेज़ी), एम.ए. (उर्दू), पीजीडीटी, पीजीडीपीआर, पीजीडीटीएम, पीजीसीएमएचटी, पीजीसीजीपीएस, पीजीडीएसीई, एम.फिल., पीएच.डी। प्राध्यापक के रूप में 1988 से 1999 तक महात्मा गांधी गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज, माही (संघ राज्य पांडिचेरी) में कार्यरत। 1999 से 2022 तक श्री शंकराचार्य विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफ़ेसर और प्रोफ़ेसर के तौर पर, सम्प्रति 2022 से अब तक केरल केन्द्रीय विश्वविद्यालय, कासरगोड के हिन्दी विभाग में प्रोफ़ेसर और विभागाध्यक्ष के तौर पर कार्यरत हैं। प्रकाशित रचनाएँ : हम इन्तज़ार में हैं (काव्य-संग्रह); यह काव्य-संग्रह सरकारी व्रण्णन कॉलेज; (कण्णूर विश्वविद्यालय) के एम.ए. पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। हम बेघर हैं (काव्य-संग्रह); यह काव्य-संग्रह कुवेंपु विश्वविद्यालय, शिमोगा, कर्नाटक के एम.ए. हिन्दी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। अर्जुन Vs एकलव्य (काव्य-संग्रह)। कुछ चुनी हुई कविताएँ, कन्नूर विश्वविद्यालय एवं केरल केन्द्रीय विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में पढ़ाने के लिए हैं। विभिन्न पत्रिकाओं में कविताओं तथा शोधपरक आलेखों का प्रकाशन। पुरस्कार : केरल हिन्दी साहित्य अकादमी, राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन (केरल) ओ. आबू स्मारक पुरस्कार और राष्ट्रीय युवा उत्सव। पता : केरल। Visit : Youtube poem of dr. Manu (1) वन्दे मातरम् वन्दे भारतम (प्रो. डॉ. मनु) (2) दर्दे-बँटवारा (प्रो. मनु) |
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बेरोजगारी का छतराप्रो. मनु
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प्रकृति की गोद में संघर्ष और इश्क़ का आलाप: बेरोज़गारी का छतरा – प्रो. मनु के नये संग्रह का स्वर... आगे... |