लोगों की राय

हास्य-व्यंग्य

तो अंग्रेज़ क्या बुरे थे

रविन्द्र बड़गैयाँ

मूल्य: $ 2.95

‘तो अंग्रेज क्या बुरे थे’ व्यंग्य-मिश्रित ललित गद्य का दिलचस्प उदाहरण है।   आगे...

नेकी कर, अखबार में डाल

आलोक पुराणिक

मूल्य: $ 6.95

कोई वक्त रहा होगा, जब नेकी दरिया में डाली जाती थी। कोई वक्त रहा होगा, जब साधु-संत प्रवचन करते थे   आगे...

छिछोरेबजी का रिजोल्यूशन

पीयूष पांडे

मूल्य: $ 6.95

वास्तविक दुनिया में वर्चुअल दुनिया यानी आभासी दुनिया किस तरह से प्रवेश करती है, इस पुस्तक में बार बार दिखायी देता है   आगे...

शेष अगले पृष्ठ पर

के डी सिंह

मूल्य: $ 6.95

यह किताब एक ऐसे लेखक की है जो लेखन की दुनिया का पेशेवर बाशिन्दा नहीं है   आगे...

सर्वर डाउन है

यश मालवीय

मूल्य: $ 14.95

यह संकलन व्यंग्य लेखन की समृद्ध परंपरा में एक मील का पत्थर साबित होगा   आगे...

राग मिलावट मालकौंस

रवीन्द्र कालिया

मूल्य: $ 1.95

राजनीति में नहीं, साहित्य में भी छवि का विशेष महत्त्व स्वीकार किया गया है   आगे...

ठिठुरता हुआ गणतंत्र

हरिशंकर परसाई

मूल्य: $ 12.95

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परम श्रद्धेय मैं खुद

अनुज खरे

मूल्य: $ 19.95

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सम्मान फिक्सिंग

गिरीश पंकज

मूल्य: $ 16.95

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ज्यों ज्यों बढ़े श्याम रंग

प्रेम जनमेजय

मूल्य: $ 15.95

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