रहस्य-रोमांच >> दूसरी क्रान्ति दूसरी क्रान्तिवेद प्रकाश शर्मा
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
सुपर रघुनाथ की पत्नी रैना दरअसल गुलशनगढ़ नामक एक नन्हे-से आजाद देश की राजकुमारी होती है। बिना किसी बैक ग्राउंड के वह गुलशनगढ़ में नजर आती है। भूल से वह विजय के पिता ठाकुर साहब को गोली मार देती है। यह रहस्य भी सामने आता है कि विजय के पिता ठाकुर साहब दरअसल रैना के ताऊजी हैं, अर्थात ठाकुर साहब गुलशनगढ़ के महाराज ठाकुर अभय सिंह के बड़े भाई हैं और रैना अभय सिंह की बेटी। विजय के पिता का पूरा नाम ठाकुर निर्भय सिंह था। यह रहस्य केवल वहीं जानते थे कि रैना एक स्टेट की राजकुमारी है, परंतु किसी खास वजह से वे लगभग पच्चीस वर्षों से इस रहस्य को अपने सीने में दफन किए हुए थे।
वास्तविकता यह थी कि ठाकुर साहब अपने पिता की नाजायज संतान थे। इनके पिता का नाम भानु प्रताप सिंह था और जवानी के बहाव में बहकर भानु प्रताप ने पारो नामक एक युवती से प्रेम किया था। उसी प्रेम की निशानी ठाकुर निर्भय सिंह थे। पारो का एक भाई होता है-जब्बर सिंह। जब उसे पता लगता है तो वह अपनी बहन को इंसाफ दिलाने महल में पहुंचता है, किंतु यहां का सम्राट भानु प्रताप का पिता राणा प्रताप सिंह एक बेहद क्रूर शासक है। वह पारो और जब्बर पर भानु प्रताप की अनुपस्थिति में अत्याचार करता है। उन्हें कैद में डाल देता है। कैद में ही निर्भय सिंह पैदा होता है।
राणा प्रताप सिंह अपने प्लान के मुताबिक बच्चे को पैदा होते ही मार देना चाहता है, लेकिन एक रहस्यमय लड़की की मदद से जब्बर सिंह निर्भय को लेकर कैद से भाग जाता है। पारो को बुरी तरह टॉर्चर करके राणा प्रताप बोरे में बंद कर देता है और समुद्र में डलवा देता है। उधर राणा प्रताप पारो और जब्बर के बूढ़े बाप की निर्मम हत्या करवा देता है। जब्बर जंगा सिंह नामक दस्यु का दोस्त बन जाता है। वहीं निर्भय का पालन-पोषण होता है। एक शेरनी खुद उसे दूध पिला-पिलाकर बड़ा करती है।
वक्त गुजर जाता है। उधर भानु प्रताप की शादी में जब्बर और जंगा गड़बड़ करने का असफल प्रयास करते हैं। इस मुठभेड़ में जंगा मारा जाता है, लेकिन जब्बर से वह यह वचन लेता है कि वह उस समय तक राजमहल से नहीं टकराएगा जब तक कि निर्भय बड़ा नहीं हो जाता। इधर भानु प्रताप की शादी राधारमणी नामक एक राजकुमारी से होती है और उसकी कोख से अभय सिंह नामक शिशु का जन्म होता है। उधर निर्भय सिंह भयानक दस्यु बनता जा रहा है।
वास्तविकता यह थी कि ठाकुर साहब अपने पिता की नाजायज संतान थे। इनके पिता का नाम भानु प्रताप सिंह था और जवानी के बहाव में बहकर भानु प्रताप ने पारो नामक एक युवती से प्रेम किया था। उसी प्रेम की निशानी ठाकुर निर्भय सिंह थे। पारो का एक भाई होता है-जब्बर सिंह। जब उसे पता लगता है तो वह अपनी बहन को इंसाफ दिलाने महल में पहुंचता है, किंतु यहां का सम्राट भानु प्रताप का पिता राणा प्रताप सिंह एक बेहद क्रूर शासक है। वह पारो और जब्बर पर भानु प्रताप की अनुपस्थिति में अत्याचार करता है। उन्हें कैद में डाल देता है। कैद में ही निर्भय सिंह पैदा होता है।
राणा प्रताप सिंह अपने प्लान के मुताबिक बच्चे को पैदा होते ही मार देना चाहता है, लेकिन एक रहस्यमय लड़की की मदद से जब्बर सिंह निर्भय को लेकर कैद से भाग जाता है। पारो को बुरी तरह टॉर्चर करके राणा प्रताप बोरे में बंद कर देता है और समुद्र में डलवा देता है। उधर राणा प्रताप पारो और जब्बर के बूढ़े बाप की निर्मम हत्या करवा देता है। जब्बर जंगा सिंह नामक दस्यु का दोस्त बन जाता है। वहीं निर्भय का पालन-पोषण होता है। एक शेरनी खुद उसे दूध पिला-पिलाकर बड़ा करती है।
वक्त गुजर जाता है। उधर भानु प्रताप की शादी में जब्बर और जंगा गड़बड़ करने का असफल प्रयास करते हैं। इस मुठभेड़ में जंगा मारा जाता है, लेकिन जब्बर से वह यह वचन लेता है कि वह उस समय तक राजमहल से नहीं टकराएगा जब तक कि निर्भय बड़ा नहीं हो जाता। इधर भानु प्रताप की शादी राधारमणी नामक एक राजकुमारी से होती है और उसकी कोख से अभय सिंह नामक शिशु का जन्म होता है। उधर निर्भय सिंह भयानक दस्यु बनता जा रहा है।
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