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मनोविश्लेषण

सिगमंड फ्रायड

प्रकाशक : राजपाल एंड सन्स प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :392
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8838
आईएसबीएन :9788170289968

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‘ए जनरल इन्ट्रोडक्शन टु साइको-अनालिसिस’ का पूर्ण और प्रामाणिक हिन्दी अनुवाद


यहां आपको स्वप्न के व्यस्त और गुप्त अवयव के बीच एक नये प्रकार के सम्बन्ध का पता चलता है। व्यक्त अवयव गुप्त अवयव का विपर्यास नहीं है, बल्कि उसका निरूपण है-यह कल्पना का एक वैसा ही ठोस चित्र है जैसा किसी शब्द की ध्वनि से पैदा होता है। यह सच है कि यह फलतः विपर्यास ही है, क्योंकि हम बहुत पहले यह भूल चुके हैं कि वह शब्द किस मूर्त प्रतिबिम्ब से पैदा हुआ, और इसलिए जब इसके स्थान पर वह प्रतिबिम्ब आ जाता है, तब हम इसे पहचान नहीं पाते। जब आप यह विचार करते हैं कि अधिकतर उदाहरणों में व्यक्त स्वप्न में दृष्टिगम्य प्रतिबिम्ब ही होते हैं, और विचार तथा शब्द बहत कम होते हैं. तब आप आसानी से यह समझ जाएंगे कि स्वप्न के ढांचे में व्यक्त और गुप्त के इस तरह के सम्बन्ध का कुछ विशेष अर्थ है। आप यह भी देखते हैं कि इस तरह बहुत-से अमूर्त विचारों की लम्बी श्रेणी के लिए व्यक्त स्वप्न में स्थानापन्न बिम्ब पैदा करना सम्भव हो जाता है जो सचमुच छिपाने का प्रयोजन पूरा करते हैं। हमारी चित्रपहेलियां इसी तरह की होती हैं। इस तरह के निरूपण में जो सूझ या बुद्धि जैसी चीज़ दिखाई देती है, वह कहां से पैदा होती है, यह एक विशेष प्रश्न है, जिस पर हमें यहां विचार करने की ज़रूरत नहीं।

व्यक्त और गुप्त अवयवों के बीच एक चौथा सम्बन्ध भी है, जिसके बारे में मैं हमारी विधि के वर्णन में उसके उपयुक्त समय आने तक कुछ नहीं कहूंगा। फिर भी इन सम्भव सम्बन्धों की पूरी सूची आपके सामने नहीं आई है, पर हमारे प्रयोजन के लिए काफी चीज़ आ चुकी है।

क्या अब आप एक पूरे स्वप्न का अर्थ लगाने की हिम्मत कर सकते हैं? पहले यह देखना चाहिए कि हमारे पास इनके लिए पर्याप्त तैयारी या साधन हो गए या नहीं। यद्यपि मैं सबसे अधिक स्पष्ट स्वप्न नहीं चुनूंगा, तो भी ऐसा स्वप्न चुनूंगा जो साफ तौर से स्वप्न की मुख्य विशेषताओं को प्रकट करे।

एक नौजवान स्त्री को, जिसका कई वर्ष पूर्व विवाह हो चुका था, यह स्वप्न आया : वह अपने पति के साथ थियेटर गई। वहां एक तरफ की कुर्सियां बिलकुल खाली थीं। उसके पति ने उसे बताया कि एलिस एल० और उसका भावी पति (जिससे उसकी सगाई हुई है) भी आना चाहते थे, पर उन्हें डेढ़ फ्लोरिन में तीन वाली रद्दी कुर्सियां ही मिल सकीं, और निश्चित ही वे कुर्सियां नहीं ले सकते थे। उसने उत्तर दिया कि मेरी राय में इससे उन्हें विशेष नुकसान नहीं हुआ।

स्वप्न देखने वाले ने जो पहली बात बताई, वह यह है कि स्वप्न पैदा होने के अवसर का व्यक्त वस्तु में निर्देश है : उसके पति ने उसे सचमुच बताया था कि उसकी एक परिचित लड़की एलिस एल० की, जो लगभग उसकी ही आयु की थी, सगाई हो गई थी और यह स्वप्न उसी समाचार की प्रतिक्रिया है। हम पहले ही जानते हैं कि बहुत-से स्वप्नों में पिछले दिन हुए किसी ऐसे अवसर का संकेत करना आसान होता है, और स्वप्न देखने वाला बिना कठिनाई के उस पर पहुंच जाता है। यह स्वप्न देखने वाला हमें व्यक्त स्वप्न के अन्य अवयवों के बारे में उसी तरह की और जानकारी देता है। एक तरफ की कुर्सियां खाली थीं। इससे यह किस बात पर पहुंची? यह पिछले सप्ताह की एक वास्तविक घटना का निर्देश था, जब उसने एक नाटक देखने का विचार किया था और इसलिए इतनी जल्दी सीटें बुक करा ली थीं कि उसे टिकटों के लिए अतिरिक्त पैसे देने पड़े थे। थियेटर में घुसने पर यह स्पष्ट था कि उसकी चिन्ता बिलकुल अनावश्यक थी, क्योंकि एक तरफ की कुर्सियां प्रायः खाली थीं। यदि वह नाटक के दिन ही टिकट खरीदती तो भी काफी समय होता और उसका पति उसे यह कोंचने से न चूका कि तुमने बहुत जल्दबाजी की। इसके बाद डेढ़ फ्लोरिन का क्या अर्थ हुआ? इसका सम्बन्ध एक बिलकुल दूसरे प्रसंग से था, जिसका पहले प्रसंग से कुछ मेल नहीं था। पर यह भी पिछले दिन मिले किसी समाचार के बारे में था। उसकी ननद के पास अपने पति से डेढ़ सौ फ्लोरिन आए थे और वह मूर्ख की तरह जल्दी से एक गहने वाले की दुकान पर पहुंची और एक गहने पर उसने वह सब खर्च कर दिया। तीन संख्या का क्या अर्थ था? उसे इसके बारे में कुछ मालूम नहीं था पर शायद आप इस विचार को साहचर्य मान सकें कि सगाई वाली लड़की एलिस एल० इससे सिर्फ तीन महीने छोटी थी जबकि इसकी शादी हुए दस वर्ष हो चुके थे। और दो आदमियों के लिए तीन टिकट लेने की बेतुकी बात का क्या मतलब था? उसने इस बारे में कुछ नहीं कहा और कोई अन्य साहचर्य या जानकारी बताने से इनकार कर दिया।

तो भी उसके थोड़े-से साहचर्यों ने हमें इतनी सामग्री दे दी है कि उससे गुप्त स्वप्न-विचार का पता लगाया जा सकता है। यह तथ्य विशेष रूप से हमारे सामने आता है कि उसके बयानों में समय का उल्लेख कई जगह दिखाई देता है और यह इस सामग्री के भिन्न-भिन्न भागों का सामान्य आधार बना हुआ है। उसने थियेटर के टिकट बहुत जल्दी खरीद लिए थे, उन्हें बहुत जल्दी-जल्दी में लिया था, जिसके कारण उसे अतिरिक्त पैसे देने पड़े थे; इसी तरह उसकी ननद बहुत जल्दी में सर्राफ की दुकान पर जेवर खरीदने चली गई थी, मानो उसकी कोई चीज खो जाएगी। यदि उन बातों को, जिन पर खास बल दिया गया-'बहुत जल्दी', 'बहुत जल्दी में - स्वप्न के मौके (अर्थात् यह खबर कि उसकी उससे सिर्फ तीन महीने छोटी सहेली को अब आखिर में एक अच्छा पति मिल गया है) से, और उस आलोचना से, जो उसने अपनी ननद के बारे में रूखेपन से की थी, कि 'इतनी जल्दबाजी करना बेवकूफी है,' जोड़ दिया जाए तो प्रायः अपने-आप ही गुप्त स्वप्न-विचारों की निम्नलिखित अन्विति या तात्पर्य आता है जिसका बहुत अधिक विपर्यस्त स्थानापन्न वह स्वप्न है:

'मेरा विवाह के लिए इतनी जल्दी करना सचमुच बेवकूफी थी। एलिस के उदाहरण से मुझे पता चलता है कि मुझे भी बाद में पति मिल सकता था।' (यहां बहुत जल्दबाज़ी उसके अपने टिकट खरीदने के काम में, और उसकी ननद के जेवर खरीदने के रूप में प्रकट हुई; विवाहित होने के स्थान पर थियेटर जाना आ गया।) प्रधान विचार यह होगा; शायद हम आगे भी बढ़ सकते हैं, परन्तु उतने निश्चय से नहीं, क्योंकि इन वाक्यों में प्रस्तुत विश्लेषण स्वप्नद्रष्टा के बयानों से अवश्य समर्थित ही होना चाहिए : ‘और मैं उतने ही रुपयों में सौ गुना अच्छा पा सकती थी।' (डेढ़ सौ फ्लोरिन डेढ़ फ्लोरिन का सौ गुना है।) यदि हम धन के स्थान पर दहेज रख दें तो इसका अर्थ यह होगा कि पति दहेज से खरीदा जाता है : जेवर और खराब सीटें, ये दोनों चीजें पति की निरूपक होंगी। यदि हम 'तीन टिकट' और एक पति वाले अवयव में भी कोई सम्बन्ध-सूत्र देख सकें तो और भी अच्छा होगा; पर अब तक का हमारा ज्ञान इतनी दूर तक नहीं पहुंचता। हम इतना ही पता लगा सकते हैं कि यह स्वप्न यह प्रकट करता है कि वह अपने पति को हीन समझती है और इतनी जल्दी विवाह कर लेने पर उसे खेद है।

मेरी राय में स्वप्न का अर्थ लगाने की हमारी इस पहली कोशिश का जो परिणाम हुआ है, उससे हम सन्तुष्ट कम और चकित तथा विभ्रान्त अधिक होंगे। हमारे मन में चारों ओर से एकसाथ इतने सारे विचार आ रहे हैं कि हम उन्हें नियन्त्रित ही नहीं कर पा रहे हैं। हम पहले ही देख रहे हैं कि इस स्वप्न के निर्वचन से हम जो कुछ जान पाएंगे, उससे किसी उद्देश्य पर नहीं पहुंचेंगे। उन बातों को फौरन अलग-अलग कर लिया जाए जिनमें हमें निश्चित रूप से कोई नया ज्ञान दिखाई देता है।

पहली बात : हम देखते हैं कि गप्त विचारों में मख्य बल जल्दी के अवयव पर है; व्यक्त स्वप्न में यह एक ऐसी चीज़ है जिसके बारे में हमें कुछ नहीं मिलता। विश्लेषण के बिना हमें यह सन्देह भी न होता कि यह विचार मन में कभी आया था। इसलिए यह सम्भव मालूम होता है कि वह मुख्य बात, जो अचेतन विचारों का केन्द्र है, व्यक्त स्वप्न में बिलकुल दिखाई ही नहीं दी। इस तथ्य से वह सारा प्रभाव ऊपर से नीचे तक बदल जाता है, जो इस सारे स्वप्न से हमारे ऊपर पड़ा था। दूसरी बात : स्वप्न में विचारों का अर्थहीन संयोग है (डेढ़ फ्लोरिन में तीन); स्वप्न-विचारों में हमें यह राय दिखाई देती है : '(इतनी जल्दी विवाह) यह बेवकूफी थी। क्या हम इस निष्कर्ष को अस्वीकार कर सकते हैं कि यह विचार 'यह बेवकूफी थी' व्यक्त स्वप्न में एक बेतुका अवयव लाकर प्रकट हुआ है? तीसरी वात : तुलना से पता चलता है कि व्यक्ति और गुप्त अवयवों का सम्बन्ध सरल और सीधा नहीं होता। निश्चित ही वह इस तरह का नहीं होता कि एक गुप्त अवयव के स्थान पर सदा एक व्यक्त अवयव आ जाता हो। इन दोनों का सम्बन्ध दो विभिन्न समूहों में होने वाले सम्बन्ध जैसा है, अर्थात् एक व्यक्त अवयव कई गुप्त विचारों को निरूपित कर सकता है, या एक गुप्त विचार के स्थान पर कई अवयव आ सकते हैं।

अब स्वप्न के अर्थ का, और इसके प्रति स्वप्न देखने वाले के रवैये का प्रश्न रह जाता है : इसमें भी हमें बहुत-सी आश्चर्यजनक बातें दिखाई दे सकती हैं। उस महिला ने इस अर्थ को स्वीकार तो अवश्य किया, पर उसे इस पर आश्चर्य था। उसे इस बात का ध्यान नहीं था कि वह अपने पति के बारे में ऐसे हीन विचार रखती है। उसे यह भी मालूम नहीं था कि वह उसे इस तरह हीन क्यों समझे। इस प्रकार, इसके बारे में अब भी बहुत-सी बातें समझ में नहीं आतीं। असल में, मैं यह सोच रहा हूं कि अभी स्वप्न का अर्थ लगाने के लिए हमारी उचित तैयारी नहीं हुई, और हमें पहले और अधिक शिक्षा तथा तैयारी की आवश्यकता है।

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