विविध >> मनोविश्लेषण मनोविश्लेषणसिगमंड फ्रायड
|
286 पाठक हैं |
‘ए जनरल इन्ट्रोडक्शन टु साइको-अनालिसिस’ का पूर्ण और प्रामाणिक हिन्दी अनुवाद
व्याख्यान
7
व्यक्त वस्तु और गुप्त विचार
आप देखते हैं कि हमारा गलतियों का अध्ययन निष्फल नहीं हुआ है। उस अध्ययन से
हमें, उन परिकल्पनाओं के आधार पर जो आप जानते हैं, दो परिणाम प्राप्त हुए हैं
: स्वप्न-अवयव की प्रकृति की एक अवधारणा और स्वप्न-निर्वचन की एक विधि।
स्वप्न-अवयव की अवधारणा यह है : यह अपने-आपमें कोई मूल और सारभूत चीज़ नहीं
है, यह 'स्वयं विचार' नहीं है बल्कि किसी और चीज़ की, जो सम्बन्धित व्यक्ति
को, गलती से पीछे छिपे हुए आशय की तरह, अज्ञात है, स्थानापन्न है-यह एक ऐसी
चीज़ का स्थानापन्न है जिसका ज्ञान स्वप्न देखने वाले के अन्दर निश्चित रूप
से मौजूद है पर वह उस ज्ञान तक पहुंच नहीं पाता। हम यही अवधारणा सारे के सारे
स्वप्न पर, जिसमें ऐसे कई अवयव होते हैं, ले आने की आशा रखते हैं। हमारी विधि
यह है कि दूसरे स्थानापन्न मनोबिम्बों1 को, जिनसे हम छिपी हुई बात को जान
सकते हैं, उपर्युक्त अवयवों के साथ मुक्त साहचर्य के द्वारा चेतना में आने
दें।
अब मैं यह कहना चाहता हूं कि हम अपनी शब्दावली को अधिक लचकदार वनाने के लिए
अपने शब्द-प्रयोग में कुछ हेर-फेर कर लें। 'छिपा हुआ', 'पहुंच से बाहर' या
'स्वयं विचार' शब्दों के स्थान पर हमें अधिक यथातथ्य2 वर्णन करना चाहिए और
कहना चाहिए कि 'स्वप्न देखने वाले की चेतना की पहुंच के बाहर', या 'अचेतन'3।
इससे हमारा आशय उससे कुछ अधिक नहीं है जो भूले हुए शब्द या गलतियों के पीछे
मौजूद आशय के मामले में था, अर्थात् उस समय अचेतन में। इससे यह बात निकलती है
कि इसके मुकाबले में खास स्वप्न- अवयवों की और साहचर्य के प्रक्रम से प्राप्त
स्थानापन्न-मनोबिम्बों को चेतन कह सकते हैं। इन शब्दों में अभी तक कोई और
सिद्धान्त-सम्बन्धी विशेष ध्वनि नहीं है। 'अचेतन' शब्द का प्रयोग करने पर, जो
वर्णन की दृष्टि से उपयुक्त भी है और समझने में भी आसान है, कोई आपत्ति नहीं
की जा सकती।
अब अपनी अवधारणा को एक अवयव से पूरे स्वप्न पर लाने पर यह बात निकलती है कि
पूरा स्वप्न किसी और चीज़ का, किसी अज्ञात या अचेतन वस्तु का, विपर्यस्त
अर्थात् बिगड़ा हुआ स्थानापन्न है, और कि स्वप्न का अर्थ लगाने में हमें इन
अचेतया अज्ञात विचारों को खोजना है। इससे तीन महत्त्वपूर्ण नियम निकलते हैं,
जिनका स्वप्न का अर्थ लगाते हुए पालन करना चाहिए :
1. हमें स्वप्न के ऊपरी अर्थ से नहीं उलझना है, चाहे वह तर्कसंगत हो या
बेतुका, स्पष्ट हो या मिला-जुला अस्पष्ट। किसी भी सूरत में उन्हें वे अचेतन
विचार नहीं समझा जा सकता जिन्हें हम खोज रहे हैं। इस नियम की एक स्पष्ट समझने
में आने वाली सीमा आगे स्वयं हमारी समझ में आ जाएगी।
2. हमें सिर्फ इतना ही करना है कि प्रत्येक अवयव के लिए स्थानापन्न मनोबिम्ब
लाएं, या आने दें; हमें उन पर विचार नहीं करना है और न यह देखने की कोशिश
करनी है कि उनमें कोई जंचने वाली चीज़ है या नहीं, और न इस झगड़े में पड़ना
है कि वे हमें स्वप्न-अवयव से कितनी दूर ले जा रहे हैं।
3. हमें तब तक प्रतीक्षा करनी चाहिए जब तक छिपे हुए अचेतन विचार, जिन्हें हम
खोज रहे हैं, आपसे-आप न प्रकट हो जाएं, जैसा कि ऊपर बताए गए परीक्षण में भूले
हुए शब्द 'मोनाको' के बारे में हुआ था।
--------------------------
1. Substitute-ideas
2. Precise
3. Unconscious यहां अचेतन शब्द का अर्थ है अज्ञात, अर्थात् जो स्वयं को या
अपने बारे में नहीं जानता और जिसका अस्तित्व आश्रयभूत व्यक्ति को भी अज्ञात
है।
|