विविध >> मनोविश्लेषण मनोविश्लेषणसिगमंड फ्रायड
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‘ए जनरल इन्ट्रोडक्शन टु साइको-अनालिसिस’ का पूर्ण और प्रामाणिक हिन्दी अनुवाद
व्याख्यान
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गलतियों का मनोविज्ञान हम अब सिद्धान्तों के बजाय एक जांच-पड़ताल से अपनी
बातचीत शुरू करेंगे। इसके लिए हम कुछ ऐसी घटनाएं देंगे जो बहुत होती हैं,
जिन्हें हम रोज़ देखते हैं, और नज़रअंदाज कर देते हैं; और जो किसी बीमारी के
कारण नहीं होती, क्योंकि हर स्वस्थ आदमी में वे दिखाई देती हैं। मेरा मतलब उन
गलतियों से है, जो हर आदमी करता है; जैसे, आदमी कुछ कहना चाहता है, पर गलत
शब्द बोल जाता है; या इसी तरह की भूल लिखने में कर जाता है, और उस पर उसका
ध्यान नहीं जाता; या कोई आदमी किसी छपी या लिखी हुई चीज़ को गलत पढ़ जाता है,
या आदमी से जो कुछ कहा गया है उसे वह गलत सुन लेता है, हालांकि उसकी
श्रवण-इन्द्रिय में कोई रोग नहीं है। इसी तरह की दूसरी घटनाएं वे हैं जिनमें
आदमी किसी बात को कुछ समय के लिए भूल जाता है, पर सदा के लिए नहीं; जैसे
उदाहरण के लिए, कोई आदमी कोई नाम बहुत अच्छी तरह जानता है, पर उसे सोचने पर
वह याद नहीं आता, हालांकि चीज़ देखकर वह उसे तुरन्त पहचान लेता है; या कोई
आदमी कोई काम करना चाहता है, पर भूल जाता है, लेकिन बाद में उसे वह याद आ
जाता है, और इसलिए वह उसे कुछ ही समय के लिए भूला था। तीसरी तरह की घटनाएं वे
हैं, जिनमें उतने थोड़े समय की भूल नहीं होती; जैसे कोई चीज़ कहीं रख बैठना
और फिर उसे ढूंढ़ न सकना। यह भुलक्कड़पन आम भुलक्कड़पन से कुछ दूसरी तरह का
होता है। इसका कोई कारण समझने के बजाय, आदमी इस पर चकित या परेशान होता है।
इसके साथ सम्बन्ध रखने वाली कुछ भूलें होती हैं, जिनमें फिर वही थोड़े समय तक
होने की बात दिखाई देती है; जैसे, एक आदमी किसी बात को कुछ समय के लिए सच
मानता है, पर उसके पहले और उसके पीछे वह इसे झूठ समझता है, और इसी तरह की कई
बातें दिखाई देती हैं जिनके हमने अलग-अलग नाम रख रखे हैं।
जर्मन भाषा में इस तरह की सब घटनाओं में मौजूद कुछ भीतरी सम्बन्ध 'Ver'
उपसर्ग का प्रयोग करके सूचित किया जाता है। यह ऊपर की घटनाओं के वाचक सब
शब्दों में लगाया जाता है।1 ये सब शब्द प्रायः महत्त्वहीन क्रियाओं के वाचक
हैं। ये क्रियाएं आमतौर पर बहुत थोड़ी देर रहने वाली होती हैं और ज़िन्दगी
में उनका खास महत्त्व नहीं होता। ऐसा बहुत कम होता है कि इस तरह की घटना का
व्यवहार में कोई महत्त्व हो; जैसे, कोई चीज़ खो जाने पर; इसी कारण ऐसी घटनाओं
पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता, और उनके विषय में कोई विशेष भावना नहीं पैदा
होती।
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1. हिन्दी में 'अप' उपसर्ग इस अर्थ का वाचक होता है। उदाहरण के लिए अपश्रवण,
अपस्मरण; अपभाषण आदि।-अनुवादक
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