गजलें और शायरी >> संभाल कर रखना संभाल कर रखनाराजेन्द्र तिवारी
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तुम्हारे सजने-सँवरने के काम आयेंगे, मेरे खयाल के जेवर सम्भाल कर रखना....
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खोले न ज़ुबाँ लाख मगर बोल उठेगा
खोले न ज़ुबाँ लाख मगर बोल उठेगा।
आँखों से गुनहगार की डर बोल उठेगा।।
छुप जाये कोई ऐब ज़माने से भले ही,
आईने से मिलते ही नज़र बोल उठेगा।
शाखों पे नशेमन हैं परिन्दों के हवाओं,
बिखरेंगे नशेमन तो शजर बोल उठेगा।
दीवारें भी सुन लेती हैं अफ़साना दिलों का,
जज़्बात पुकारेंगे तो घर बोल उठेगा।
दुनिया उसे जब भी नज़र अंदाज़ करेगी,
फ़नकार न बोलेगा हुनर बोल उठेगा।
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