लोगों की राय

गजलें और शायरी >> संभाल कर रखना

संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : उत्तरा बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8809
आईएसबीएन :9788192413822

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

173 पाठक हैं

तुम्हारे सजने-सँवरने के काम आयेंगे, मेरे खयाल के जेवर सम्भाल कर रखना....


    

कभी-कभी


ये माना, मेरी कोई हस्ती नहीं है
मगर ज़िन्दगी इतनी सस्ती नहीं है

जब से वो अजनबी हो गया
लम्हा-लम्हा सदी हो गया

कोई रिश्ता न नाता रहा
वो मगर याद आता रहा

ये भटकना ही काम आयेगा
इक न इक दिन मुकाम आयेगा

आईने से बैठ कर बातें करें
आइए ख़ुद से मुलाक़ातें करें

दोस्ती जब भी आज़माई है
बाख़ुदा हमने चोट खाई है

है काम दुनिया का पत्थर उछालते रहना
हमारा काम है दरपन सम्हालते रहना

मीज़ान पे क्या जाने वह कितनी सही उतरी
जो दिल से सदा निकली लफ़्ज़ों में वही उतरी

अपने दरम्यान ये दूरी नहीं अच्छी लगती
कोई तस्वीर अधूरी नहीं अच्छी लगती

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book