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गजलें और शायरी >> संभाल कर रखना

संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : उत्तरा बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2012
पृष्ठ :120
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 8809
आईएसबीएन :9788192413822

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तुम्हारे सजने-सँवरने के काम आयेंगे, मेरे खयाल के जेवर सम्भाल कर रखना....



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फिर किसी की झील सी आँखों को खारा कर गया


फिर किसी की झील सी आँखों को खारा कर गया।
जाते - जाते वो, न जाने क्या इशारा कर गया।।

हमको ले जायेगा मंज़िल तक भरोसा जिस पे था,
वो हमें मँझधार तक लाकर, किनारा कर गया।

चोट खाकर मुस्कुराना यूँ तो मुश्किल है मगर,
दिल बहुत मजबूर था ये भी गवारा कर गया।

लूटने वाले ने इक एहसान भी हम पर किया,
अपनी यादें दे के जीने का सहारा कर गया।

कर लिया हमने यक़ीं उस बेवफ़ा की बात पर,
आज दिल राजेन्द्र क्यों ग़लती दुबारा कर गया।

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