सांस्कृतिक >> नतोहम् नतोहम्मीनाक्षी स्वामी
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‘नतोहम्’ भारतीय संस्कृति की बाह्य जगत से आंतरिक जगत की विस्मयकारी यात्रा करवाने की सामर्थ्य के अनावरण का अद्भुत परिणाम है।
‘नतोहम्’ भारतीय संस्कृति की बाह्य जगत से आंतरिक जगत की विस्मयकारी यात्रा करवाने की सामर्थ्य के अनावरण का अद्भुत परिणाम है। भारत भूमि के वैभवशाली अतीत और वर्तमान गौरव के सम्मुख विश्व के नतमस्तक होने का साक्षी है।
‘नतोहम्’ में मंत्रमुग्ध करने वाली भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म के सभी पहलुओं पर वैज्ञानिक चिंतन के साथ भारतीय अध्यात्म के विभिन्न पहलुओं को खरेपन के साथ उकेरा गया है।
भारतीय संस्कृति के विराट वैभव का दर्शन होता है - सांस्कृतिक नगरी उज्जयिनी में बारह वर्षों में होने वाले सिंहस्थ कुम्भ के विश्वस्तरीय आयोजन में। उज्जयिनी का केन्द्र शिप्रा है। इसके किनारे लगने वाले सिंहस्थ में देश भर के आध्यात्मिक रहस्य और सिद्धियां एकजुट हो जाती हैं। इन्हें देखने, जानने को विश्व भर के जिज्ञासु अपना दृष्टिकोण लिए यहां एकत्र हो जाते हैं। तब इस पवित्र धरती पर मन प्राण में उपजने वाले सूक्ष्मतम भावों की सशक्त अभिव्यक्ति है यह उपन्यास।
उपन्यास के विलक्षण कथा संसार को कुशल लेखिका ने अपनी लेखिनी के संस्पर्श से अनन्य बना दिया है।
‘नतोहम्’ में मंत्रमुग्ध करने वाली भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म के सभी पहलुओं पर वैज्ञानिक चिंतन के साथ भारतीय अध्यात्म के विभिन्न पहलुओं को खरेपन के साथ उकेरा गया है।
भारतीय संस्कृति के विराट वैभव का दर्शन होता है - सांस्कृतिक नगरी उज्जयिनी में बारह वर्षों में होने वाले सिंहस्थ कुम्भ के विश्वस्तरीय आयोजन में। उज्जयिनी का केन्द्र शिप्रा है। इसके किनारे लगने वाले सिंहस्थ में देश भर के आध्यात्मिक रहस्य और सिद्धियां एकजुट हो जाती हैं। इन्हें देखने, जानने को विश्व भर के जिज्ञासु अपना दृष्टिकोण लिए यहां एकत्र हो जाते हैं। तब इस पवित्र धरती पर मन प्राण में उपजने वाले सूक्ष्मतम भावों की सशक्त अभिव्यक्ति है यह उपन्यास।
उपन्यास के विलक्षण कथा संसार को कुशल लेखिका ने अपनी लेखिनी के संस्पर्श से अनन्य बना दिया है।
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