उपन्यास >> फाइटर की डायरी फाइटर की डायरीमैत्रेयी पुष्पा
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मैत्रेयी पुष्पा का एक अति संवेदनशील उपन्यास
Fighter Ki Dairy by Maitrai Pushpa
वर्दी क्या होती है, जानती हो? वह क्या महज कोई पोशाक होती है, जैसा कि समझा जाता है।
सुनो वह पोशाक के रूप में ‘ताकत’ होती है। उसी ताकत को तुम चाहती हो। जिसको कमजोर मान लिया है, उसे ताकत की तमन्ना हर हाल में होगी। हाँ, वह वर्दी तुम पर फबती है। ताकत या शक्ति हर इनसान पर फबती है। लेकिन फबती तभी है जब वर्दीरूपी ताकत का उपयोग नाइंसाफी से लड़ने के लिए होता है। यह मनुष्य को बचाने के लिए तुम्हें सौंपी गई वह ताकत है, जो तुम्हारे स्वाभिमान की रक्षा करती है। सच मानो वर्दी तुम्हारी शख्सियत का आइना है।
स्त्री की कोशिश में अगर जिद न मिलाई जाए तो उसका मुकाम दूर ही रहेगा। सच में औरत की अपनी जिद ही वह ताकत है जो उसे रूढ़ियों, जर्जर मानयताओं के जंजाल से खींचकर खुली दुनिया में ला रही है। नहीं तो सुमन जैसी लड़कियों की पढ़ाई छुड़वाकर उसे घर बिठा दिया जाता है। मेरे ख्याल में आप त्रियाहठ का अर्थ उस तरह समझ रही हैं कि जो दृढ़ संकल्प हमारे जीवन को उन्नति की ओर ले जाए।
‘नहीं, शादी नहीं। मैं घर से भाग जाऊँगी अम्मी के सामने यह कहा को अम्मी की आँखें कौड़ी की तरह खुली रह गईं। उनके होंठों में हरकत थी, जैसे कह कही हों - भाग जाएगी! भाग जाएगी!! - उन्होंने जो साफ तौर पर कहा, वह तीर की तरह चुभा हिना को - भाग जा, रंडियों के कोठे पर बैठ जाना और तू करेगी क्या?’
-इसी किताब से
सुनो वह पोशाक के रूप में ‘ताकत’ होती है। उसी ताकत को तुम चाहती हो। जिसको कमजोर मान लिया है, उसे ताकत की तमन्ना हर हाल में होगी। हाँ, वह वर्दी तुम पर फबती है। ताकत या शक्ति हर इनसान पर फबती है। लेकिन फबती तभी है जब वर्दीरूपी ताकत का उपयोग नाइंसाफी से लड़ने के लिए होता है। यह मनुष्य को बचाने के लिए तुम्हें सौंपी गई वह ताकत है, जो तुम्हारे स्वाभिमान की रक्षा करती है। सच मानो वर्दी तुम्हारी शख्सियत का आइना है।
स्त्री की कोशिश में अगर जिद न मिलाई जाए तो उसका मुकाम दूर ही रहेगा। सच में औरत की अपनी जिद ही वह ताकत है जो उसे रूढ़ियों, जर्जर मानयताओं के जंजाल से खींचकर खुली दुनिया में ला रही है। नहीं तो सुमन जैसी लड़कियों की पढ़ाई छुड़वाकर उसे घर बिठा दिया जाता है। मेरे ख्याल में आप त्रियाहठ का अर्थ उस तरह समझ रही हैं कि जो दृढ़ संकल्प हमारे जीवन को उन्नति की ओर ले जाए।
‘नहीं, शादी नहीं। मैं घर से भाग जाऊँगी अम्मी के सामने यह कहा को अम्मी की आँखें कौड़ी की तरह खुली रह गईं। उनके होंठों में हरकत थी, जैसे कह कही हों - भाग जाएगी! भाग जाएगी!! - उन्होंने जो साफ तौर पर कहा, वह तीर की तरह चुभा हिना को - भाग जा, रंडियों के कोठे पर बैठ जाना और तू करेगी क्या?’
-इसी किताब से
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