नारी विमर्श >> दुष्कर दुष्करमहाश्वेता देवी
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बनारस से चली हुई ट्रेन आखिरकार पहुँच ही गयी...
‘मेरा विश्वास निर्माण और निर्मित में है, जो मैं आज
भी सीख रही हूँ। जो सब उपादान किताबें पढ़कर, जनमानस से परिचित होकर,
पैदल-पाँव, घूम-फिरकर जुटाती हूँ, वह मेरे मन के पन्नों में दर्ज हो जाता
है। इसमें जादू का अहसास भी शामिल है। असल में प्रत्यक्ष तर्जुर्बों की
हमेशा जरूरत नहीं पड़ती। वैसे मेरी क्षमता का दायरा भी छोटा है। मैं उसमें
विश्वसनीयता गढ़ने का प्रयास करती हूँ। मेहनत अन्वेषण और नित्यप्रति सीखते
रहने का सिलसिला, आज भी खत्म नहीं हुआ। मुझे नहीं लगता कि प्रत्यक्ष
अभिज्ञता ही आखिरी बात है। मैं कहीं पहुँचना चाहती हूँ, इसीलिए मैं निरंतर
चलती रहती हूँ। अध्ययन, ग्रहण और सतत जागरूक मन के जरिए, मैं कथावस्तु को पकड़ने की कोशिश करती हूँ। ये सब अभिज्ञता मेरे मन में पलती-बढ़ती रहती
है। मेरे मन को मथती रहती है। यही मेरी आस्था, मेरा विश्वास है। जिस दिन
यह सब ‘ना’ हो जाएगा, मैं भी ‘ना’ हो जाऊँगी।’
महाश्वेता देवी
बांग्ला की प्रख्यात लेखिका महाश्वेता देवी का जन्म 1926 में ढाका में हुआ। वह वर्षों बिहार और बंगाल के घने कबाइली इलाकों में रही हैं।
उन्होंने अपनी रचनाओं में इन क्षेत्रों के अनुभव को अत्यन्त प्रामाणिकता
के साथ उभारा है।
महाश्वेता देवी एक थीम से दूसरी थीम के बीच भटकती नहीं हैं। उनका विशिष्ट क्षेत्र है–दलितों और साधन-हीनों के हृदयहीन शोषण का चित्रण और इसी संदेश को वे बार-बार सही जगह पहुँचाना चाहती हैं ताकि अनन्त काल से गरीबी-रेखा से नीचे साँस लेनेवाली विराट मानवता के बारे में लोगों को सचेत कर सकें।
गैर-व्यावसायिक पत्रों में छपने के बावजूद उनके पाठकों की संख्या बहुत बड़ी है। उन्हें साहित्य अकादेमी, ज्ञानपीठ पुरस्कार व मैग्सेसे पुरस्कार समेत अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
महाश्वेता देवी एक थीम से दूसरी थीम के बीच भटकती नहीं हैं। उनका विशिष्ट क्षेत्र है–दलितों और साधन-हीनों के हृदयहीन शोषण का चित्रण और इसी संदेश को वे बार-बार सही जगह पहुँचाना चाहती हैं ताकि अनन्त काल से गरीबी-रेखा से नीचे साँस लेनेवाली विराट मानवता के बारे में लोगों को सचेत कर सकें।
गैर-व्यावसायिक पत्रों में छपने के बावजूद उनके पाठकों की संख्या बहुत बड़ी है। उन्हें साहित्य अकादेमी, ज्ञानपीठ पुरस्कार व मैग्सेसे पुरस्कार समेत अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
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