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वयस्क किस्से

मस्तराम मस्त

प्रकाशक : श्रंगार पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 1990
पृष्ठ :132
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 774
आईएसबीएन :

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मस्तराम के मस्त कर देने वाले किस्से

चिकने साबुन को उसने पहले अपने गले और बगलों मे लगाया। चमेली की सुगन्ध उसे बहुत अच्छी लगती थी। चिकने साबुन से उसने अपने उरोजों के आगे के भूरे भाग को अत्यंत कोमल स्पर्श से रगड़ना आरंभ किया। अब उसने अपने उरोजों पर विशेष ध्यान देना आरंभ किया। उसने प्लास्टिक की छोटी चौकी पैर से खिसकाई और उस पर आराम से बैठ गई। उसका बायें हाथ की उँगलियाँ दायें उरोज की कलगी और कलगी के भूरे आधार को चिकने साबुन की एक सतह से सहलाने लगी।

उसने दायें पैर को फैला दिया ताकि उसके कामांग का बायीं तरफ वाला हिस्सा उसके दायें हाथ की उँगलियों को आसानी से उपलब्ध हो सके। चिकना साबुन उसके दायें उरोज पर और कामांग के बायें हिस्से के कटाव पर कमाल दिखाने लगा। जब से कामिनी का पति पैसे कमाने के चक्कर में उससे उदासीन रहने लगा था, तब पहले तो उसने बहुत दिनों तक कुछ "होने" का इंतजार किया। लेकिन कब तक करती!

समय के साथ उसके शरीर की धधकती अग्नि धीरे-धीरे उसे नई-नई राहें दिखाने लगी। लंबा स्नान उसके शरीर को कुछ ठंडक तो दे ही देता था। उसकी लंबी और पतली उँगलियाँ एक मँझे हुए खिलाड़ी की तरह अपना काम धीरे-धीरे करती रहीं। आम तौर पर स्नान के समय जितनी देर उसकी उंगलियाँ चलती उसके मन में पति के साथ अनुभव किए गये पुराने स्पर्श घूमते रहते, लेकिन वहीं कभी-कभी उसे पुरानी यादें ताजा करने का मन नहीं होता था। तब उसकी उंगलियों को अपना काम बहुत देर तक करना पड़ता।

वह बड़ी शिद्दत से अपने काम में लगी रही। फिर पता नहीं कहाँ से, लेकिन अचानक उसे एक दिन पहले की घटना याद आ गई और उसकी उत्तेजना एक झटके में बढ़ गई। चिकनाई ने अपना काम किया और उंगलियाँ पियानो पर बजने लगीं। सिहरन अंदर-ही-अंदर दौड़ी और एक जलजले की तरह उस पर छा गई। प्लास्टिक के नहाने की चौकी बैठी वह इधर-उधर घूमती और झटके लेती रही।

उसका पूरा शरीर गर्म हो गया था और उसे फिर से ठंडे पानी की आवश्यकता थी। अपने आपको संभालने के लिए उसने फव्वारे के नीचे मुँह खोल कर खड़ी हो गई। लम्बी-लम्बी साँसे ले रही कामिनी का शरीर अचानक फिर से झटके लेने लगा और एक बार फिर मादक मदहोशी उस पर छा गई, कई सालों के बाद उसे इन लहरों ने दो बार उस पर चढ़ाई की थी। लहराना बंद करने के बाद भी कुछ और देर तक उसका स्नान चलता रहा। लगभग 10 मिनटों के बाद उसने तौलिया बालों में लपेटा और पूर्णतः निर्वस्त्र बेडरूम के पंखे के नीचे रोज की तरह आ खड़ी हुई।

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