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श्रंगार-विलास >> वयस्क किस्से

वयस्क किस्से

मस्तराम मस्त

प्रकाशक : श्रंगार पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 1990
पृष्ठ :132
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 774
आईएसबीएन :

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मस्तराम के मस्त कर देने वाले किस्से


वैसे चाची के हाथ में देकर मजा लेने में जो सुख प्राप्त हुआ था उस से पुनः उसी तरह से मजा करने का मन आतुर था।
रात के नौ बजे चुके थे। चाची अपनी ख्वाईश को पूरा करने की तिकड़म में थी।
वह अपनी मजेदार अय्याशी में चार चाँद लगाने के लिए चन्दा को भी फुसला रही थी। शायद उसे स्वयं के स्थान पर किसी नयी मछलियों को निबटते देखने में आनन्द आता था।
मैं तो अनाड़ी था। अभी इस अखाड़े में उतरने का पहला पहला मौका ही लगा था। उत्तेजना के कारण मेरा पूरा शरीर जलने लगा था। मैं अपनी बेताबी पर अपने हाथ को लगा करा देखा पर यह मजा नहीं आया जो चाची से पैजामे के ऊपर से लगवाने पर आया था।
तभी चाची चौदह वर्षीय कसे हुए अमरूद जैसी गद्दर हसीना को अपने साथ मेरे पास लेकर आयी। मुझे कपड़े उतार कर बैठा देख खुशी से भर बोली शाबाश देखा चंदा आ गयी।
चन्दा हमें पहले से नंगा बैठा देख अकबकायी पर पता नहीं क्यों उसी क्षण उसका भी चेहरा तमतमा गया। वहीं आंटी की ओर देखा तो आटी उसके गाल पर हाथ फेरती बोली यही मेरा आनन्द है। शरमा क्यों रही हो। देखो ना इस लौंडे का! मस्त हो जाओगी आनन्द के साथ सोकर! अब शरमाने की जरूरत नहीं हमारे पास रह कर सीखो।
आन्टी के उस रसीले प्रस्ताव से चन्दा का मुखड़ा लाल हो गया। उसे भी अब आन्टी के घर आने पर एक मस्ती भरा आनन्द मिलना प्रारम्भ हो गया था। जब मेरी आँख उस गोरी चिट्टी खूबसूरत लड़की के दोनों कच्चे अनारों पर पड़ी तो मेरे कामांग में और मस्ती कसमसाई।।
मेरा सत्रह साल का था उसका चौदह का आण्टी ने चन्दा से जो जोड़ा खिलाने और ब्याह करने की जो बात की थी उसकी गहराई समझ कर मेरा आनन्द और भी रसीला हो गया था। शायद मुझको मादरजात नंगे होकर वैसा बैठा देखकर चन्दा की नादानी भी समझदार हो गयी थी। उसका सफेद मुखड़ा लाल हो गया था। चन्दा मेरे कामांग को देखकर शरमा गई, लेकिन आण्टी उसकी शर्म को घेरती बार-बार हमें दिखाती कह रही थी! देखा तुमने हमारा भतीजा कितना पुर-जोर है।
आन्टी की उस किशोरी से शरारत भरी बातें करते देखकर हमको तो और हसीन आनन्द आ रहा था। वह स्मीज और सलवार पहने थी। आन्टी ने मेरी ओर देखते हुए कहा, “ है न चन्दा तुम्हारे लायक है, ये भी अभी तक कभी खेली खाई नहीं हैं। इसलिए थोड़ा शरमा रही है। इधर आओ चन्दा!”
आन्टी चन्दा को लेकर बिस्तर पर एक तरफ बैठ गई। आज आंटी ने हमारे लिए त्रिलोक का द्वारा खोल दिया था और अब मेरी शारीरिक भूख बहुत जोर से बढ़ गई थी। मुझे इस मजे को लूटना नहीं आता था पर अब चन्दा के कसे-कसे दोनों आम का मजा लूटने का मन बन गया था।

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