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श्रंगार-विलास >> वयस्क किस्से

वयस्क किस्से

मस्तराम मस्त

प्रकाशक : श्रंगार पब्लिशर्स प्रकाशित वर्ष : 1990
पृष्ठ :132
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 774
आईएसबीएन :

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मस्तराम के मस्त कर देने वाले किस्से


नहीं चाची...
पगले इतने सयाने हो गये और अभी तक जोड़े का मजा नहीं लिये, इसका मतलब तुमको जोड़ा खाना नहीं आता।
नहीं! नहीं! चाची हाथ ऐसे नहीं! मैं अपने पकड़े गये यार की बेताबी पर उनकी चल रही उंगलियों को रोकता हुआ बोला।
किसी से बताना नहीं हम तुमको सिखा कर चन्दा से जोड़ा खिलायेंगे हम से सीखोगे ना........ हां, चाची...
तो शरमाना छोड़ो, देखना कितना मजा आयेगा। यह उम्र तो खेलने खाने की होती हैं। उसकी सहेली को देखोगे तो कहोगे मेरे पूरे बदन में बिजली की लहर सी दौड गयी है। मैं बेकरारी के साथ रानों को 'कसता बोला नहीं चाची।
घबराओ नहीं आज तुमको दोनों का मजा दिलायेगें। तुम कपड़े उतारकर बिस्तर में इंतजार करो, मैं चन्दा को लेकर फटाफट आती हूँ, फिर दोनों को ही वो मजे करना सिखाऊँगी कि याद करोगे। नया जोश था! नयी उम्र थी। चाची की उतनी ही हरकत से मेरी हालत काफी नाजुक हो गयी थी और मदहोशी छलने लगी। थी। अगर चाची का हाथ अलग न होता तो मेरा पैजामा उसी क्षण खराब हो जाता। इतना आदेश दे चाची पड़ोस की छोकरी को बुलाने चली गई और मैं उत्सुकता से अब जो कुछ होने वाला था उसके बारे में सोचकर उत्तेजित होने लगा।
जवान होते हुए भी अब तक मुझे मौज मस्ती करने का अनुभव तो नहीं था पर सैक्स की अनुभूति उम्र को गुमराह करने को आतुर थी।
दिमाग में ऐसी मस्ती चढ़ रही थी जिसमें क्षण में ही हमें बुढ़िया जवान लगते लगती। कहाँ मैं तो मात्र चाची के ही बदन को नंगा देखने को आतुर था, पर यहां उसकी मंशा ने तो मुझे पागल बना दिया था।
वह मुझे कपड़े उतार कर नंगा होकर बिस्तर में जाने का आदेश देकर सयानी हो रही किशोरी चन्दा को लाने गयी थी। उस समय सेक्स के जोश में अन्धा होकर मैं इस समय उस औरत के सामने पूरी तरह से हथियार डाल देने को तैयार हो गया था।
कुछ देर रंगीन विचारों में खोया मजा लेता रहा फिर मेरे कुंवारे बेकरार मन ने कहा कि ऐसा मौका फिर हाथ नहीं लगेगा, बेटा चाची की बात मान ले! मुझे इसी उभरती उम्र में तीनों लोक दिखाई देने लगे।
मन में यह विचार के उभरने के बाद मेरी झिझक समाप्त हो गई और मैं अपने सभी कपड़ों को उतार नंगा होकर मस्ती के साथ जमीन पर बिछे गुदाज बिस्तर पर बैठ गया।
इस समय मेरा यार लहरा रहा था। आने वाली मस्ती की रंगीन कल्पना से बदन का रोवां-रोवां गनगना कर एकदम खड़ा हो गया था। इस तरह किसी और के घर में अपने कपड़े उतार कर बैठने में एक अजीब किस्म का रोमांच और लुत्फ आ रहा था। चाची ने मौज मस्ती के लिए चौड़ा बिस्तर फर्श पर लगा तकियो को सजा रखा था।

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