लोगों की राय

उपन्यास >> सात फेरे

सात फेरे

चन्द्रकिशोर जयसवाल

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :829
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 7729
आईएसबीएन :9788126318483

Like this Hindi book 2 पाठकों को प्रिय

35 पाठक हैं

यह उपन्यास एक तिहाजू व्यक्ति की कथा है जो फिर एक विवाह करना चाहता है...

Saat Phere - by Chandrakishor Jayaswal

‘सात फेरे’ वरिष्ठ कथाकार चन्द्रकिशोर जायसवाल का अत्यन्त रोचक उपन्यास है। रोचक इस अर्थ में कि लेखक ने कथासाहित्य के अनिवार्य तत्त्व ‘किस्सागोई’ का समकालीन प्रवृत्तियों के अनुसार अद्भुत प्रयोग किया है। कथारस को स्थितियों और पात्रों से जोड़कर चन्द्रकिशोर जायसवाल ने ‘सात फेरे’ की रचना की है। यह उपन्यास एक तिहाजू व्यक्ति की कथा है जो फिर एक विवाह करना चाहता है। इस कार्य में उसका सहायक बनता है एक ‘विस्थापित पुरोहित’। दोनों कन्याखोजी अभियान में बार-बार निकलते हैं और अन्तिम फेरे से पहले भाँति-भाँति की दुर्दशा करवाकर घर वापस आते हैं। विवाहाभिलाषी अधेड़ व्यक्ति की मनोदशा के साथ बिहार के एक विशेष अंचल के समाजशास्त्र को लेखक ने छोटे-छोटे महत्त्वपूर्ण विवरणों के साथ प्रस्तुत किया है। उपन्यास में लोकजीवन और उसके विविध लिखिति-अलिखित पक्षों का वृत्तान्त इतना पठनीय है कि पूरी रचना पढ़कर ही पाठक को सन्तोष होता है। यह लेखकीय कुशलता है कि व्यंग्य-विनोद द्वारा आच्छादित कथा के बीच उसने स्मरणीय चरित्रों और विमर्शमूलक टिप्पणियों के लिए भी ‘स्पेस’ निकाल लिया है।

‘सात फेरे’ अद्भुत कथारस और विचित्र वर्णन पद्धति के लिए पाठकों की अपार प्रशंसा प्राप्त करेगा, ऐसा विश्वास है।


प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book