लोगों की राय

ओशो साहित्य >> संभोग से समाधि की ओर

संभोग से समाधि की ओर

ओशो

प्रकाशक : डायमंड पब्लिकेशन्स प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :440
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7286
आईएसबीएन :9788171822126

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

248 पाठक हैं

संभोग से समाधि की ओर...


आइंस्टीन से किसी ने पूछा था कि तीसरे महायुद्ध में क्या होगा? आइंस्टीन ने कहा तीसरे के बाबत कुछ भी नहीं कहा जा सकता। लेकिन चौथे के संबंध में मैं कुछ कह सकता हूं। पूछने वालों ने कहा, आश्चर्य, आप तीसरे के संबंध में नहीं कह सकते, तो चौथे के संबंध में क्या कहेंगे?
आइंस्टीन ने कहा कि चौथे के संबंध में एक बात निश्चित है कि चौथा महायुद्ध कभी नहीं होगा। क्योंकि तीसरे के बाद किसी आदमी के बचने की कोई उम्मीद नहीं।
यह मनुष्य की सारी नैतिक और धार्मिक शिक्षा का फल है। मैं आपसे कहना चाहता हूं, इसकी बुनियादी वजह दूसरी है। जब तक हम मनुष्य के संभोग को सुव्यवस्थित, मनुष्य के संभोग को आध्यात्मिक; जब तक हम मनुष्य के संभोग को समाधि का द्वार बनाने में सफल नहीं होते, तब तक अच्छी मनुष्यता पैदा नहीं हो सकती है। रोज बदतर-से-बदतर मनुष्यता पैदा होगी, क्योंकि आज के बदतर बच्चे कल संभोग करेंगे और अपने से बदतर लोगों को जन्म दे जाएंगे। हर पीढ़ी नीचे उतरती चली जाएगी, यह बिल्कुल ही निश्चित है। इसकी 'प्रोफेसी' की जा सकती है, इसकी भविष्यवाणी की जा सकती है।

और अब तो हम उस जगह पहुंच गए हैं कि शायद और पतन की गुंजाइश नहीं है। करीब-करीब सारी दुनिया एक मेड हाउस, एक पागलखाना हो गई है। अमरीका के मनोवैज्ञानिकों ने हिसाब लगाया है कि न्यूयार्क जैसे नगर में केवल 18 प्रतिशत लोग मानसिक रूप से स्वस्थ कहे जा सकते हैं। 18 प्रतिशत! 18 प्रतिशत लोग मानसिक रूप से स्वस्थ हैं तो 82 प्रतिशत लोगों की क्या हालत है? 82 प्रतिशत लोग करीब-करीब विक्षिप्त होने की हालत में हैं।

आप कभी अपने संबंध में कोने में बैठकर विचार करना, तो आपको पता चलेगा कि पागलपन कितना है भीतर। किसी तरह दबाए हैं पागलपन को, किसी तरह संभलकर चले जा रहे हैं वह बात दूसरी है। जरा-सा कोई धक्का दे दे और कोई भी आदमी पागल हो सकता है।
यह संभावना है कि सौ वर्ष के भीतर सारी मनुष्यता एक पागलघर बन जाए, सारे लोग करीब-करीब पागल हो जाएँ! फिर हमें एक फायदा होगा कि पागलों के इलाज की कोई जरूरत नहीं रहेगी। एक फायदा होगा कि पागलो के चिकित्सक नहीं होंगे। एक फायदा होगा कि कोई अनुभव नहीं करेगा कि कोई पागल है, क्योंकि पागल का पहला लक्षण यह है कि वह कभी नहीं मानता कि मैं पागल हूं। इतना ही फायदा होगा।

लेकिन यह रुग्णता बढ़ती चली जाती है। यह रोग, यह अस्वास्थ्य, यह मानसिक चिंता और मानसिक अंधकार बढ़ता चला जाता है। क्या मैं आपसे कहूं कि सेक्स को 'स्प्रीव्युअलाइज' किए बिना, संभोग को आध्यात्मिक बनाए बिना कोई नई मनुष्यता पैदा नहीं हो सकती है?

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

Bakesh  Namdev

mujhe sambhog se samadhi ki or pustak kharidna hai kya karna hoga