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ओशो साहित्य >> संभोग से समाधि की ओर

संभोग से समाधि की ओर

ओशो

प्रकाशक : डायमंड पब्लिकेशन्स प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :440
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7286
आईएसबीएन :9788171822126

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संभोग से समाधि की ओर...


अमरीका में न्यूयार्क जैसे नगरों में तीस से लेकर चालीस प्रतिशत लोग नींद की दवाएं लेकर सो रहे हैं और अमरीकी वैज्ञानिक कहते हैं कि सौ वर्ष के भीतर न्यूयार्क जैसे नगर में एक भी आदमी सहज रूप से नहीं सो सकेगा दवा लेनी ही पड़ेगी। तो यह हो सकता है कि न्यूयार्क में सौ साल बाद होगा, दो सौ साल बाद हिदुस्तान में होगा; क्योंकि हिंदुस्तान के नेता इस बात के पीछे पड़े हैं कि हम उनका मुकाबला करके रहेंगे, हम उनसे पीछे नहीं रह सकते। वे कहते हैं हम उनसे पीछे नहीं रह सकते, उनकी सब बीमारियों से हम मुकाबला करके रहेंगे!
तो यह हो सकता है कि पांच सौ साल बाद दुनिया के लोग नीदं की दवा लेकर ही सोए! और बच्चा जब पहली दफा पैदा हो मां के पेट से तो वह दूध न मांगे, वह कहे टेंकोलाइजर! नहीं मैं सो नहीं पाया तुम्हारे पेट में, टेंकोलाइजर कहां है? तो पांच सौ साल बाद उन लोगों को यह विश्वास दिलाना कठिन होगा कि आज से पांच सौ साल पहले सारी मनुष्यता आंख बंद करती थी और सो जाती थी। वे कहेंगे इंपासिबल, असंभव है यह बात। यह नहीं हो सकता है। कैसे हो सकती है यह बात।

मैं आपसे कहता हूं, उस ब्रह्मचर्य से जो जीवन उपजेगा, उसको यह विश्वास करना कठिन हो जाएगा कि लोग चोर थे, लोग बेईमान थे, लोग हत्यारे थे, लोग आत्म-हत्याएं कर लेते थे, लोग जहर खाते थे, लोग शराब पीते थे, लोग छुरे भोंकते थे, लोग युद्ध करते थे। यह उनको विश्वास करना मुश्किल होगा कि यह कैसे हो सकता है। काम से अब तक उत्पत्ति हुई है। और वह भी उस काम से जो फिजियोलॉजिकल से ज्यादा नहीं है।
एक आध्यात्मिक काम का जन्म हो सकता है और एक नए जीवन का प्रारंभ हो सकता है। उस नए प्रभात के आरंभ के लिए ये थोड़ी-सी बातें, इन चार दिनों में मैंने आपसे कही है। मेरी बातों को इतने प्रेम और शांति से-और ऐसी बातों को, जिन्हें प्रेम और शांति से सुनना बहुत मुश्किल हो गया होगा, बड़ी कठिनाई मालूम पड़ी होगी।

एक मित्र तो मेरे पास आए और कहने लगे कि मैं डर रहा था कि कहीं दस-बीस आदमी खड़े होकर यह न कहने लगें कि बंद करिए ये बातें नहीं होनी चाहिए। मैंने कहा, इतने हिम्मतवर आदमी भी होते तो भी ठीक था।
इतने हिम्मतवर आदमी भला कहां हैं कि किसी को कह दें कि बंद करिए यह बात। इतने ही हिम्मतवर आदमी इस मुल्क में होते तो बेवकूफों की कतार जो कुछ भी कह रही है मुल्क में, वह कभी की बंद हो गई होती। लेकिन वह बंद नहीं हो पा रही।
मैंने कहा कि मैं तो प्रतीक्षा करता हूं कि कभी कोई बहादुर आदमी खड़े होकर कहेगा कि बंद कर दो यह बात, उससे कुछ बात करने का मजा होगा। तो ऐसी बातों को, जिनसे कि मित्र डरे हुए थे कि कहीं कोई खड़े होकर न कह दे, आप इतने प्रेम से सुनते रहे, आप बड़े भले आदमी हैं। और जितना आपका ऋण मानूं उतना कम है।
अंत में यही कामना करता हूं परमात्मा से कि प्रत्येक व्यक्ति के भीतर जो काम है, वह राम के मंदिर तक पहुंचने की सीढ़ी बन सके। बहुत-बहुत धन्यवाद, और अंत में सबके भीतर बैठे हुए परमात्मा को प्रणाम करता हूं। मेरे प्रणाम स्वीकार करें।

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Bakesh  Namdev

mujhe sambhog se samadhi ki or pustak kharidna hai kya karna hoga