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ओशो साहित्य >> संभोग से समाधि की ओर

संभोग से समाधि की ओर

ओशो

प्रकाशक : डायमंड पब्लिकेशन्स प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :440
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7286
आईएसबीएन :9788171822126

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संभोग से समाधि की ओर...


और लोगों ने कहा कि इससे बड़ा झूठ कुछ भी नहीं हो सकता! यह तो अल्टीमेट अनट्रुथ हो गया। और भी बड़ी-बड़ी झूठ लोगो ने बोली थी। उन्होंने कहा, वह सब बेकार है, पुरस्कार इसको दे दो। वह आदमी बाजी मार ले गया।
लेकिन कभी आपने सोचा है कि स्त्रियां इतनी बातें क्यों करती है? पुरुष काम करते हैं, स्त्रियों के हाथ में कोई काम नहीं है। और काम नहीं होता है तो बात होती है।

भारत इतनी बातचीत क्यों करता है? वही स्त्रियों वाला दुर्गुण है। काम कुछ भी नहीं है-बातचीत-बातचीत।

बह्मचर्य से एक नए मनुष्य का जन्म होगा, जो बातचीत करने वाला नहीं, जीने वाला होगा। वह धर्म की बात नहीं करेगा, धर्म को जीएगा। लोग भूल ही जाएंगे कि धर्म कुछ है, वह इतना स्वाभाविक हो सकता है। उस मनुष्य के बाबत विचार भी अद्भुत हैं। वैसे कुछ मनुष्य पैदा होते रहे हैं। आकस्मिक था उनका पैदा होना।
कभी एक महावीर पैदा हो जाता है। ऐसा सुंदर आदमी पैदा हो जाता है कि अगर वह वस्त्र पहने तो उतना सुंदर न मालूम पड़े। नग्न खड़ा हो जाता है। उसके सौदर्य की सुगंध फैल जाती है सब तरफ। लोग महावीर को देखने चले आते हैं वह ऐसा मालूम होता है, संगमरमर की प्रतिमा हो। उसमें इतना वीर्य प्रकट होता है कि-उसका नाम तो वर्धमान था-लौग उसको महावीर कहने लगते हैं। उसके ब्रह्मचर्य का तेज इतना प्रकट होता है कि लोग अभिभूत हो जाते हैं कि वह आदमी ही और है।  

कभी एक बुद्ध पैदा होता है, कभी एक क्राइस्ट पैदा होता है, कभी एक कंफ्यूशियस पैदा होता है। पूरी मनुष्य-जाति के इतिहास में दस-पच्चीस नाम हम गिन सकते हैं जो पैदा हुए हैं।
जिस दिन दुनिया में ब्रह्मचर्य से बच्चे आएंगे-और यह शब्द भी सुनना आपको लगेगा कि ब्रह्मचर्य से बच्चे! मैं एक नए ही कंसेप्ट की बात कर रहा हूं। ब्रह्मचर्य से जिस दिन बच्चें आएंगे, उस दिन सारे जगत के लोग ऐसे होंगे-ऐसे सुंदर, ऐसे शक्तिशाली, ऐसे मेधावी, ऐसे विचारशील-फिर कितनी देर होगी उन लोगों को कि वे परमात्मा को न जानें। वे परमात्मा को इसी भांति जानेंगे, जिस तरह हम रात को सोते हैं।

लेकिन जिस आदमी को नींद नहीं आती, उससे अगर कोई कहे कि मैं सिर्फ तकिए पर सिर रखता हूं और सो जाता हूं तो वह आदमी कहेगा बिस्कूल गलत झूठ बात है। मैं तो बहुत करवट बदलता हूं, उठता हूं, बैठता हूं, माला फेरता हूं, गाय-भैस गिनता हूं, लेकिन कुछ नहीं-नीदं आती नहीं। आप झूठ कहते हैं। ऐसे कैसे हो सकता है कि तकिए पर सिर रखा है और नींद आ जाए। तकिए पर सिर रखा है और नींद आ जाती है। आप सरासर झूठ बोलते हैं क्योंकि मैंने तो बहुत प्रयोग करके देख लिया; नींद तो कभी नहीं आती, रात गुजर जाती है।

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Bakesh  Namdev

mujhe sambhog se samadhi ki or pustak kharidna hai kya karna hoga