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ओशो साहित्य >> संभोग से समाधि की ओर

संभोग से समाधि की ओर

ओशो

प्रकाशक : डायमंड पब्लिकेशन्स प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :440
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7286
आईएसबीएन :9788171822126

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संभोग से समाधि की ओर...


जैसे एक आदमी बैलगाड़ी में बैठकर कहीं गया। उसे बैलगाड़ी से कोई मतलब है? वह हवाई जहाज में बैठकर गया, उसे हवाई जहाज से कोई मतलब है? आप यहां से बैठकर दिल्ली गए हवाई जहाज में। हवाई जहाज से आपको कोई भी मतलब है? कोई संबंध है? कोई भी नाता है? कोई नाता नहीं है। नाता दिल्ली जाने से है। हवाई जहाज सिर्फ व्हीकल है; सिर्फ एक माध्यम है।

ब्रह्मचर्य को जब लोग उपलब्ध हों और संभोग की यात्रा समाधि तक हो जाए तब भी वे बच्चे चाह सकते हैं। लेकिन उन बच्चों का जन्म, उत्पत्ति होगी, वह प्रॉडक्ट होंगे, वह क्रिएशन होंगे, वह सृजन होंगे। सेक्स सिर्फ माध्यम होगा।

और जिस भांति अब तक यह कोशिश की गई है-इसे बहुत गौर से सुन लेना-जिस भांति अब तक यह कोशिश की गई है कि बच्चों से बचकर सेक्स को भोगा जा सके। वह नई मनुष्यता यह कोशिश कर सकती है कि सेक्स से बचकर बच्चे पैदा किए जा सकें। मेरी आप बात समझें?

ब्रह्मचर्य अगर जगत में व्यापक हो जाए तो हम एक नई खोज करेंगे, जैसी पुरानी खोज की है कि बच्चों से बचा जा सके और सेक्स का अनुभव पूरा हो जाए। इससे उल्टा प्रयोग आने वाले जगत में हो सकता है, जब ब्रह्मचर्य व्यापक होगा कि सेक्स से बचा जा सके और बच्चे हो जाएं।

और यह हो सकता है, इसमें कोई कठिनाई नहीं है। इसमें जरा भी कठिनाई नहीं है। यह हो सकता है। ब्रह्मचर्य से जगत का अंत होने तक कोई संबंध नहीं है।

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Bakesh  Namdev

mujhe sambhog se samadhi ki or pustak kharidna hai kya karna hoga