लोगों की राय

ओशो साहित्य >> संभोग से समाधि की ओर

संभोग से समाधि की ओर

ओशो

प्रकाशक : डायमंड पब्लिकेशन्स प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :440
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7286
आईएसबीएन :9788171822126

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

248 पाठक हैं

संभोग से समाधि की ओर...


बिना बुलाए बच्चों के साथ भी दुर्व्यवहार होगा, सद्व्यवहार नहीं हो सकता। क्योंकि उन्हें हमने कभी चाहा न था, कभी हमारे प्राणों की वह आकांक्षा न थी। हम
तो किसी और ही तरफ गए थे, वे बाइप्रॉडक्ट हैं प्रॉडक्ट नहीं। आज के बच्चे प्रॉडक्ट नहीं हैं बाइप्रॉडक्ट हैं। वे उत्पत्ति नहीं हैं वह उत्पत्ति के साथ जैसे गेहूं के साथ भूसा पैदा हो जाता है, वैसी हालत है। आपका विचार, आपकी कामना दूसरी थी, बच्चे बिल्कुल आकस्मिक हैं।

और इसीलिए सारी दुनिया में हमेशा से यह कोशिश चली है वात्स्यायन से लेकर आज तक, यह कोशिश चली है कि सेक्स को बच्चों से किसी तरह मुक्त कर दिया जाए। उसी से बर्थ-कंट्रोल विकसित हुआ। संतति-नियमन विकसित हुआ, कृत्रिम साधन विकसित हुए कि हम बच्चों से भी बच जाएं और सेक्स को भी भोग लें। बच्चों से बचने की चेष्टा हजारों साल से चल रही है। आयुवेंद के ग्रंथों में दवाइयों का उल्लेख है, जिनको लेने से बच्चे नहीं होंगे, गर्भधारण नहीं होगा। आयुवेंद के तीन-चार-पांच हजार साल पुराने ग्रंथ इसका विचार करते हैं और अभी आज का आधुनिकतम स्वास्थ्य का मिनिस्टर भी इसी की बात करता है। क्यों? आदमी ने यह ईजाद करने की चेष्टा क्यों की?

बच्चे बड़े उपद्रव का कारण हो गए हैं। वे बीच में आते हैं जिम्मेदारी ले आते हैं। और भी एक खतरा-बच्चों के आते से ही स्त्री परिवर्तित हो जाती है।
पुरुष भी बच्चे नहीं चाहता है। नहीं होते हैं तो चाहता है, इस कारण नहीं कि बच्चों से प्रेम है, बल्कि अपनी संपत्ति से प्रेम है। कल मालिक कौन होगा? बच्चों से प्रेम नहीं है। बाप जब चाहता है कि बच्चा हो जाए एक घर में, लड़का नहीं है, तो आप यह मत सोचना कि लड़के के लिए बड़े उसके प्राण आतुर हो रहे हैं। नहीं? आतुरता यह हो रही है कि मैं रुपए कमा-कमाकर मरा जा रहा हूं, न मालूम कौन कब्जा कर लेगा। एक हकदार मेरे खून का उसको बचाने के लिए होना चाहिए।

बच्चों के लिए कोई कभी नहीं चाहता कि बच्चे आ जाएं। बच्चों से हम बचने की कोशिश करतें रहे हैं लेकिन बच्चे पैदा होते चले गए। हमने संभोग किया और बच्चे बीच में आ गए। वह उसके साथ जुड़ा हुआ संबंध था। यह कामजन्य संतति है। यह बाइप्रॉडक्ट है, सेक्यूअलटि की ओर इसलिए मनुष्य इतना रुग्ण, इतना दीन-हीन, इतना उदास, इतना चिंतित है।

ब्रह्मचर्य से भी बच्चे आएंगे, लेकिन वे बच्चे सेक्स की बाइप्रॉडक्ट नहीं होंगे। उन बच्चों के लिए सेक्स एक व्हीकल होगा। उन बच्चों को लाने के लिए सेक्स का माध्यम होगा। सेक्स से कोई संबंध नहीं होगा।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

Bakesh  Namdev

mujhe sambhog se samadhi ki or pustak kharidna hai kya karna hoga