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ओशो साहित्य >> संभोग से समाधि की ओर

संभोग से समाधि की ओर

ओशो

प्रकाशक : डायमंड पब्लिकेशन्स प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :440
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7286
आईएसबीएन :9788171822126

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संभोग से समाधि की ओर...


वह मां गलत है, जो अपनी बेटी को और अपने बेटे को वे सारे राज नहीं बता जाती, जो उसने जाने। क्योंकि उसके बताने से बेटा और उसकी बेटी भूलो से बचेंगे, उसके न बताने से उनसे भी उन्हीं भूलों के दोहराने की संभावना है, जो उसने खुद की होंगी। बाप गलत है, जो अपने बेटे को अपनी प्रेम की और सेक्स की जिंदगी की सारी बातें नहीं बता देता, क्योंकि बता देने से बेटा उन भूलो सै बच जाएगा, जो उसने की हैं। शायद बेटा ज्यादा स्वस्थ हो सकेगा। लेकिन, वही बाप इस तरह जिएगा कि बेटे को पता चले कि उसने प्रेम ही नहीं किया! वह इस तरह खड़ा रहेगा आंखें पत्थर की बनाकर कि इसकी जिंदगी में कभी कोई औरत इसे अच्छी ही नहीं लगी।

यह सब झूठ है। यह सरासर झूठ है। तुम्हारे बाप ने भी प्रेम किया है। उनके बाप ने भी प्रेम किया था। सब बाप प्रेम करते रहे हैं लेकिन सब बाप धोखा देते रहे हैं। तुम भी प्रेम करोगे और बाप बनकर धोखा दोगे। यह धोखे की दुनिया अच्छी नहीं है। दुनिया साफ-सीधी होनी चाहिए। जो बाप ने अनुभव किया है, वह बैटे को दे जाए। जो माँ ने अनुभव किया, वह बेटी को दे जाए। जो ईर्ष्या उसने अनुभव की हैं, जो प्रेम के अनुभव किए हैं, जो गलतियां उसने की है, जिन गलत रास्तों पर वह भटकी है और भरमी है, उस सबकी कथा को अपनी बेटी को दे जाए। जो नहीं दे जाते हैं वे बच्चे का हित नहीं करते हैं। अगर हम ऐसा कर सके तो दुनिया ज्यादा साफ होगी।

हम दूसरी चीजों के संबंध में साफ हो गए हैं। शायद केमेस्ट्री के संबंध में कोई बात जाननी हो तो सब साफ है। फिजिक्स के संबंध में कोई बात जाननी हो
तो सब साफ है। भूगोल के बाबत जाननी हो तो सब साफ है। नक्शे बने हुए हैं। लेकिन आदमी के बाबत साफ नहीं है, कही कोई नक्शा नहीं है। आदमी के बाबत सब झूठ है! दुनिया सब तरफ से विकसित हो रही है, सिर्फ आदमी विकसित नहीं हो रहा है। आदमी के संबंध में भी जिस दिन चीजें साफ-साफ देखने की हिम्मत हम जुटा लेंगे, उस दिन आदमी का भी विकास निश्चित है।

यह थोड़ी-सी बातें मैंने कहीं। मेरी बातों को सोचना। मान लेने की बोई जरूरत नहीं, क्योंकि हो सकता है कि जो मैं कहूं, बिल्कुल गलत हो। तो सोचना, समझना, कोशिश करना। हो सकता है कोई सत्य तुम्हें दिखाई पड़े। जो सत्य तुझे दिखाई पड़ जाएगा, वही तुम्हारे जीवन मैं प्रकाश का दीया बन जाएगा।

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Bakesh  Namdev

mujhe sambhog se samadhi ki or pustak kharidna hai kya karna hoga