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ओशो साहित्य >> संभोग से समाधि की ओर

संभोग से समाधि की ओर

ओशो

प्रकाशक : डायमंड पब्लिकेशन्स प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :440
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7286
आईएसबीएन :9788171822126

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संभोग से समाधि की ओर...


यहां से मैं भारतीय विद्याभवन से बोलकर जबलपुर वापस लौटा और तीसरे दिन मुझे एक पत्र मिला कि अगर आप इस तरह की बातें कहना बंद नहीं कर देते हैं तो आपको गोली क्यों न मार दी जाए? मैंने उत्तर देना चाहा था, लेकिन वह गोली मारने वाले सज्जन बहुत कायर मालूम पड़े। न उन्होंने नाम लिखा था, न पता लिखा था। शायद वे डरे होंगे कि मैं पुलिस को न दे दूं। लेकिन अगर वह यहां कही हों-अगर होंगे तो जरूर किसी झाड़ के पीछे या किसी दीवाल के पीछे छिपे होंगे। अगर वह यहां कहीं हों तो मैं उनको कहना चाहता हूं कि पुलिस को दैने की कोई भी जरूरत नहीं है। वह अपना नाम और पता मुझे भेज दें, ताकि मै उनको उत्तर दे सकूं। लेकिन अगर उनकी हिम्मत न हो तो मै उत्तर यही दिए देता हूं ताकि वे सुन लें।

पहली तो बात यह है कि इतनी जल्दी गोली मारने की मत करना, क्योंकि गोली मारते ही जो बात मैं कह रहा हूं वह परम सत्य हो जाएगी इसका उनको पता होना चाहिए। जीसस क्राइस्ट को दुनिया कभी की भूल गई होती, अगर उसका सूली पर न लटकाया गया होता। जीसस क्राइस्ट को दुनिया कभी की भूल गई होती अगर उसको सूली न मिली होती। सूली देने वाले ने बड़ी कृपा की।

और मैंने तो यहां तक सुना है कि कुछ इनर सर्किल्स में, जो जीवन की गहराइयों की खोज करते हैं, उनसे मुझे यह भी ज्ञात हुआ है कि जीसस ने खुद अपनी सूली लगवाने की योजना और षडयंत्र किया था। जीसस ने चाहा था कि मुझे सूली लगा दी जाए क्योंकि सूली लगते ही जो जीसस ने कहा है, वह करोड़ों-करोड़ों वर्ष के लिए अमर हो जाएगा और हजारों लोगों के, लाखों लोगों के काम आ सकेगा।

इस बात की बहुत संभावना है, क्योंकि जुदास, जिसने ईसा को बेचा तीस रुपए में, वह ईसा के प्यारे से प्यारे शिष्यों में से एक था। और यह संभव नहीं है कि जो वर्षों से ईसा के पास रहा हो, वह सिर्फ तीस रुपए में ईसा को बेच दे, सिवाए इसके कि ईसा ने उसको कहा हो कि तू कोशिश कर, दुश्मन से मिल जा, और किसी तरह मुझे उलझा दे और सूली लगवा दे, ताकि मैं जो कह रहा हूं वह अमृत का स्थान ले ले और करोड़ों लोगों का उद्धार बन जाए।

महावीर को अगर सूली लगी होती तो दुनिया में केवल तीस लाख जैन नहीं होते, तीस करोड़ हो सकते थे। लेकिन महावीर शांति से मर गए सूली का उन्हें पता नहीं था। न किसी ने लगाई, न उन्होंने लगवाने की व्यवस्था की। आज आधी दुनिया ईसाई है। उसका इसके सिवाय कोई कारण नहीं कि ईसा अकेला सूली पर लटका हुआ है-न बुद्ध न मुहम्मद, न महावीर, न कृष्ण, न राम। सारी दुनिया भी ईसाई हो सकती है। वह सूली पर लटकने से यह फायदा हो गया। तो मैं उनसे कहता हूं कि जल्दी मत करना, नहीं तो नुकसान में पड़ जाओगे।
दूसरी बात यह कहना चाहता हूं कि घबराएं न वे। मेरे इरादे खाट पर मरने के हैं भी नहीं। मैं पूरी कोशिश करूंगा कि कोई न कोई गोली मार ही दे! तो मैं खुद ही कोशिश करूंगा, जल्दी उनको करने की आवश्यकता नहीं है। समय आने पर मैं चाहूंगा कि कोई गोली मार ही दे। जिंदगी भी काम आती है और गोली लग जाए तो मौत भी काम आती है और जिंदगी से ज्यादा काम आ जाती है। जिंदगी जो नहीं कर पाती है, वह गोली लगी हुई मौत कर देती है। अब तक हमेशा यह भूल की है दुश्मनों ने, नासमझी की है। सुकरात को जिन्होंने सूली पर लटका दिया जिन्होंने जहर पिला दिया; मंसूर को जिन्होंने सूली पर लटका दिया और अभी गोडसे ने गांधी को गोली मार दी है। गोडसे को पता नहीं कि गांधी के भक्त और गांधी के अनुयायी गांधी को इतने दूर तक स्मरण कराने में क भी सफल नहीं हो सकते थे, जितना अकेले गोडसे ने कर दिया है।
और अगर गांधी ने मरते वक्त, जब उन्हें गोली लगी और हाथ जोड़कर गोडसे को नमस्कार किया होगा तो बड़ा अर्थपूर्ण था वह नमस्कार। वह अर्थपूर्ण था कि मेरा अंतिम शिष्य सामने आ गया। अब ये मुझे आखिर और हमेशा के लिए अमर कर दिए दे रहा है। भगवान ने आदमी भेज दिया, जिसकी जरूरत थी।

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Bakesh  Namdev

mujhe sambhog se samadhi ki or pustak kharidna hai kya karna hoga